राजपुताना की रियासतों में 19 तोपों की सलामी केवल उदयपुर के तत्कालीन महाराणा को दी जाती थी। ये सलामी रियासत से बाहर मिलती थी, जबकि वे अपनी रियासत में 21 तोपों की सलामी ले सकते थे। 17 तोपों की सलामी पाने वाले शासकों में बीकानेर के तत्कालीन महाराजा, भरतपुर के महाराजा, बूंदी के महाराजा, जयपुर के महाराजा, जोधपुर के महाराजा, करौली के महाराजा, कोटा के महाराव तथा टोंक के नवाब सम्मिलित थे। अलवर के महाराजा, बांसवाड़ा के महारावल, धौलपुर के महाराज-राणा, डूंगरपुर के महारावल, जैसलमेर के महारावल, किशनगढ़ के महाराजा, प्रतापगढ़ के महारावल तथा सिरोही के महारावल को 15 तोपों की सलामी दी जाती थी। झालावाड़ के महाराज-राणा को 13 तोपों की सलामी मिलती थी। वहीं, 21 तोपों की सलामी वाली रियासतें थीं बड़ौदा, ग्वालियर, हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर, मैसूर। अंग्रेज सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों के राजाओं के लिए तोपों की सलामी की संख्या अंग्रेज सरकार के साथ उस राज्य के सम्बन्धों की स्थिति पर निर्भर करती थी। इस कारण यह घटती बढ़ती भी रहती थी।