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गांव में मासूमों जिंदगियों के हाथ में ‘जहरीली दवाइयां’, जिम्मेदार बेखबर

locationउदयपुरPublished: Jun 24, 2019 01:56:45 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

ग्रामीण स्वास्थ्य rural health mission के प्रति सजगता का ‘ढोंग’ करने वाली सरकार और उनके नुमाइंदे असल कामकाज में मासूमों की जिंदगी में ‘जहर’ घोलने में लगे हैं। चिकित्सा विभाग medical department की गैर जिम्मेदारी की एक बानगी ग्राम पंचायत भरेव मुख्यालय पर संचालित विभाग सब सेंटर पर देखने को मिलती है। तत्कालीन सबसेंटर प्रभारी एएनएम सुमित्रा तेली के स्थानांतरण के बाद से विभाग ने पहले तो इस सेंटर पर किसी प्रतिनिधि की नियुक्ति नहीं की। अनदेखी के चलते ही सब सेंटर का दरवाजा आमजन के लिए खुला पड़ा है। इतना ही नहीं सब सेंटर पर पड़ी अवधिपार दवाइयां खुले में आम लोगों की पहुंच में हैं।

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उदयपुर के इस गांव में मासूमों जिंदगियों के हाथ में ‘जहरीली दवाइयां

उदयपुर/ कानोड़. ग्रामीण स्वास्थ्य rural health mission के प्रति सजगता का ‘ढोंग’ करने वाली सरकार और उनके नुमाइंदे असल कामकाज में मासूमों की जिंदगी में ‘जहर’ घोलने में लगे हैं। चिकित्सा विभाग medical department की गैर जिम्मेदारी की एक बानगी ग्राम पंचायत भरेव मुख्यालय पर संचालित विभाग सब सेंटर पर देखने को मिलती है। तत्कालीन सबसेंटर health sub centers प्रभारी एएनएम सुमित्रा तेली के स्थानांतरण के बाद से विभाग ने पहले तो इस सेंटर पर किसी प्रतिनिधि की नियुक्ति नहीं की। अनदेखी के चलते ही सब सेंटर का दरवाजा आमजन के लिए खुला पड़ा है। इतना ही नहीं सब सेंटर पर पड़ी अवधिपार दवाइयां खुले में आम लोगों की पहुंच में हैं।
खास यह है कि समीप स्थित स्कूल के नौनिहाल सेंटर पर बिखरी इन दवाइयों से आए दिन खेलते दिखते हैं। नन्हें बच्चों के स्तर पर इन अवधिपार दवाइयों के निगलने का संकट भी बना हुआ है। विभागीय अनदेखी ही है कि बीते 9 माह से क्षेत्र में संचालित 6 सबसेंटर्स (ग्राम पंचायत भैरव, टटाकिया, ढिकिया, धामणिया, लकुकालेवा) पर ताले लटक रहे हैं। वहीं सब सेंटर मानपुरा में तो बीते दो साल से एएनएम की नियुक्ति नहीं हुई है। कमोबेश यह स्थिति एक ग्राम पंचायत की नहीं बल्कि जिले के ढेरों सब सेंटर विभागीय उदासीनता की भेंट चढ़े हुए हैं।
लद गए वो दिन
ताले लटके सबसेंटर्स वाले इलाकों की ग्रामीण एवं गर्भवती महिलाओं के हाल भी किसी से छिपे नहीं हैं। गगा, देवली , भंवरी, कमली , रामी, कला, देऊ, पुष्पा सहित अन्य जगहों की पड़ताल के दौरान गर्भवती महिलाओं ने बताया कि पहले तो डिलेवरी के समय एएनएम आती थी। उचित सलाह के साथ उपचार भी मिल जाता था, लेकिन अब उन्हें मामूली सलाह के लिए भी 12 किलोमीटर दूर लसाडिय़ा जाना पड़ता है। कई बार चिकित्सालय पहुंचने से पहले ही महिलाओं के प्रसव हो जाता है।
एक-एक एएनएम
पत्रिका संवाददाता ने पड़ताल की तो सामने आया कि 5 ग्राम पंचायतों के सात सब सेंटर में एक मात्र रेल मऊड़ी सब सेंटर और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कालीभींत पर एक-एक एएनएम की सेवाएं ग्रामीणों को मिल रही हैं। सबसेंटर वाली एएनएम को तीन अन्य सेंटर्स की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी दी हुई है। खामियों के बीच सबसेंटर पर एएनएम नहीं होने से प्रधानमंत्री मातृत्व दिवस पर प्रसूताओं को टीकाकरण के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। गर्भवती और प्रसूताओं को कालीभींत पीएचसी आना पड़ रहा है।
मानपुरा बगेड़ी से 9-10 किमी, वहीं सरेड़ी, ढिकिया सहित आस-पास के गावों से आने वाली प्रसुताओं को 4-5 किमी का सफर तय करना पड़ रहा है। पहाड़ी इलाकों में बसे इन क्षेत्रों में वाहनों व संसाधनों के अभाव में गर्भवती महिलाओं को ये मंजिल पैदल ही पार करनी पड़ती है। विभागीय योजनाओं से भी यहां की महिलाएं वंचित है।
नीम-हकीमों की मजबूरी
सब सेंटर्स पर ताले लटके होने से आम गर्भवती महिलाओं को समय पर प्राथमिक उपचार नहीं मिल रहा। लंबी दूरी तय करने के बाद भी कई बार पीएचसी पर चिकित्सक नहीं मिलते। मजबूरी में ग्रामीण लोग नीम-हकीम की शरण लेते हैं। वीरम मीणा, सरपंच ग्राम पंचायत भरेव
कार्मिकों की तंगी
कार्मिकों की कमी से कई सब सेंटर पर ताले लटके हैं। जिला कलक्टर, उपखण्ड अधिकारी के अलावा विभाग को नियुक्ति के लिए लिख रखा है। कुछ जगहों पर हुई प्रतिनियुक्ति को निरस्त कराने के लिए भी लिखा है। भरेव सब सेंटर पर चोरी होने से दवा बिखरी है। ताला लगवा देंगे। डॉ. संकेत जैन, बीसीएमओ, लसाडिय़ा
सरकार को लिखा
लसाडिय़ा क्षेत्र में एएनएम की नियुक्ति के लिए सरकार को लिखा है। भर्ती प्रक्रियाधीन है। एएनएम की नियुक्ति के प्रयास जारी हैं। लसाडिय़ा क्षेत्र की कोई एएनएम प्रतिनियुक्ति पर नहीं है। वहां पहले से कमी चल रही है।
डॉ. दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ, उदयपुर
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