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पूरा गांव बोला, ये कैसी आजादी! कलक्टर ने राहत बता फाइल बंद की

locationउदयपुरPublished: Aug 16, 2017 12:02:00 pm

Submitted by:

Mukesh Hingar

देश आज स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा है लेकिन जिला मुख्यालय से कालामगरा गांव के 300 परिवार स्तब्ध है कि यह कैसी आजादी है?

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उदयपुर . देश आज स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा है लेकिन जिला मुख्यालय से कालामगरा गांव के 300 परिवार स्तब्ध है कि यह कैसी आजादी है? ये परिवार अपनी खातेदारी की जमीन को लेकर करीब तीन साल से संघर्ष कर रहे हैं। संघर्ष भी अपनी जमीनों को बचाने को लेकर। दिलचस्प बात यह है कि सरकार के मंत्रियों, मुख्य सचिव और निचले स्तर के अधिकारियों ने इनके दर्द को सही माना और सरकारी रिपोट्र्स में भी इनके पक्ष में फैसले दिए लेकिन मुख्यमंत्री के जनसम्पर्क पोर्टल पर पांच दिन पहले कलक्टर के हवाले से इस मामले में संबंधित को राहत प्रदान करते हुए निस्तारित करना बताया है जिसे देखकर इन लोगों की आंखें डबडबा गई कि यह कैसा न्याय मिला और कैसा जश्न मना रहे हैं।

स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले उदयपुर शहर में आए इन ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि जिला कलक्टर ने मामले को निस्तारित बताया लेकिन निस्तारण में क्या किया कि यह नहीं बताया। सिर्फ यह बताया कि गिर्वा उपखंड अधिकारी की रिपोर्ट कलक्टर को भिजवाई गई और अब इस कार्यालय स्तर पर कार्रवाई लम्बित नहीं है और मामले को बंद किया जाता है।

मामला 54 बार इधर-उधर घूमी फाइल
गिर्वा तहसील के डाकनकोटड़ा ग्रामवासियों ने एक परिवाद तत्कालीन मुख्य सचिव सी.एस. राजन के समक्ष ११ जुलाई २०१४ को उप वन संरक्षक दक्षिण-उदयपुर के विरुद्ध दर्ज कराया जिसका नंबर १० था। यह परिवाद करीब ५5 बार इधर से उधर सरकारी महकमे में घूमता रहा लेकिन आज तक कोई फैसला कर इसका निस्तारण नहीं कर सका।

फैसला कलक्टर को करना था
गांव के लोगरसिंह ने बताया कि मामले में १९ मई २०१७ को जिला कलक्टर ने गिर्वा उपखंड अधिकारी को फाइल लौटाते हुए लिखा कि कार्रवाई कीजिए। जवाब में उपखंड अधिकारी ने कलक्टर को फाइल लौटाई और कहा कि हमारे स्तर पर कोई कार्यवाही लम्बित नहीं है। २७ मई २०१७ को गिर्वा उपखंड अधिकारी ने लिखा कि इस मामले में उप वन संरक्षक ने पूर्ण रिपोर्ट तैयार कर रिपोर्ट ४ फरवरी २०१६ को कलक्टर को भेज दी तथा इस कार्यालय से रिपोर्ट १८ फरवरी २०१६ को जिला कलक्टर को भिजवा दी, इस परिवाद के संबंध में उनके यहां अब कोई कार्रवाई लम्बित नहीं है। ग्रामीण दूल्हेसिंह ने बताया कि फैसला कलक्टर को करना था लेकिन उन्होंने मामले में राहत देने की बात कहीं लेकिन राहत क्या दी यह कहीं अंकित नहीं किया और मामले को बंद कर दिया।
यह कैसा न्याय दिया हमें
गांव के शिवदान सिंह देवड़ा का कहना है कि जमीन हमारी होते हुए भी वन विभाग हमको परेशान कर रहा है। गिर्वा उपखंड अधिकारी की रिपोर्ट में हमारे पक्ष में रही फिर कलक्टर ने इस मामले को बंद क्यों किया, इसमें उनको निर्णय करना था। उन्होंने बताया कि करीब 50 साल से खातेदारी जमीन हमारे नाम पर है और हमको परेशान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री को अब इस मामले में तत्काल दखल देना चाहिए कि उनके सम्पर्क पोर्टल पर अफसर कैसे काम कर रहे हैं।
यह है मामला
उप सरपंच रूपलाल ओड़ ने बताया कि गांव में पचास साल पुरानी खातेदारी जमीन को वन विभाग महज गलत बनाए गए मुटाम (सीमा चिह्न) के आधार पर अधिसूचित क्षेत्र बताकर कब्जा करने का प्रयास कर रहा है जबकि गिर्वा उपखंड अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार अधिसूचित क्षेत्र से २३१ एकड़ से अधिक भूमि अब भी वन विभाग के पास वनखंड कालामगरा के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज है फिर भी वन विभाग बेवजह ग्रामवासियों को परेशान कर रहा है।
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