वर्तमान में यह स्थिति
1. मावली से मारवाड़ तक तीन फेज में काम चलना तय था। नाथद्वारा से देवगढ़ मदारिया, देवगढ़ से बर और बर से मारवाड़ जंक्शन तक काम होना है। 2011 में मावली से नाथद्वारा के बीच ब्रॉडगेज बन गई थी।
1. मावली से मारवाड़ तक तीन फेज में काम चलना तय था। नाथद्वारा से देवगढ़ मदारिया, देवगढ़ से बर और बर से मारवाड़ जंक्शन तक काम होना है। 2011 में मावली से नाथद्वारा के बीच ब्रॉडगेज बन गई थी।
2. उदयपुर और जोधपुर के बीच अभी ट्रेन चलती है, वह अजमेर, सोजत, मारवाड़ जंक्शन होते हुए जोधपुर जाती है। इसमें समय काफी लगता है। जोधपुर जाने वाले यात्री बस से ही सफ र करना उचित समझते हैं।
3. मावली से नाथद्वारा, देवगढ़, मदारिया, ताल, भीम, पाली, जवाजा होते हुए मारवाड़ जंक्शन तक का प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। इस रेल ट्रेक का सर्वे काफी समय पहले हो गया था, लेकिन स्वीकृति प्रक्रिया में है।
4. मावली से मारवाड़ जंक्शन तक मीटर गेज लाइन है, जिसे ब्रॉडगेज में बदलनी है। इसमें मावली से देवगढ़ के बीच काम चल रहा है, जबकि इसके आगे ब्रॉडगेज का काम प्रस्तावित है, जिसमें स्वीकृति अटकी हुई है।
मीटर गेज का हिस्सा हेरिटेज में
कामली घाट से फुलाद, गोरम घाट तक के बीच के क्षेत्र की मीटर गेज लाइन को हेरिटेज में लिया गया है। यह क्षेत्र वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में आता है। ऐसे में यहां मीटर गेज की जगह ब्रॉडगेज लाइन डालने की एनओसी नहीं मिल पाई। लिहाजा वैकल्पिक मार्ग चुना गया, लेकिन उसको लेकर भी अभी नीति आयोग और वित्त मंत्रालय की स्वीकृतियां बाकी है, जबकि रेलवे की ओर से दो बार सर्वे हो चुुका है।
कामली घाट से फुलाद, गोरम घाट तक के बीच के क्षेत्र की मीटर गेज लाइन को हेरिटेज में लिया गया है। यह क्षेत्र वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में आता है। ऐसे में यहां मीटर गेज की जगह ब्रॉडगेज लाइन डालने की एनओसी नहीं मिल पाई। लिहाजा वैकल्पिक मार्ग चुना गया, लेकिन उसको लेकर भी अभी नीति आयोग और वित्त मंत्रालय की स्वीकृतियां बाकी है, जबकि रेलवे की ओर से दो बार सर्वे हो चुुका है।
टॉपिक एक्सपर्ट
वर्ष 2017 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस रूट को स्वीकृत किया। फिर 2020 में रेलवे ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। इसके बाद स्वीकृत हुआ तो विषय आया कि गोरम घाट से लेकर फुलाद तक दुर्गम रास्ता है, वहीं अत्यधिक मोड़ है। कामलीघाट, मंडावर, सिरियारी, राणावास से ले जाने के लिए सुझाव दिया। उसका भी सर्वे हो गया, लेकिन वन विभाग ने परमिशन नहीं दी। देवगढ़ से ताल, लसाणी, भीम, जवाजा रूट का सुझाव मिला। इसका सर्वे हो चुका है, लेकिन केबिनेट कमेटी की क्लीयरेंस मिलना बाकी है। प्रकाश मांडोत, रेल विकास मामलों के जानकार
वर्ष 2017 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस रूट को स्वीकृत किया। फिर 2020 में रेलवे ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। इसके बाद स्वीकृत हुआ तो विषय आया कि गोरम घाट से लेकर फुलाद तक दुर्गम रास्ता है, वहीं अत्यधिक मोड़ है। कामलीघाट, मंडावर, सिरियारी, राणावास से ले जाने के लिए सुझाव दिया। उसका भी सर्वे हो गया, लेकिन वन विभाग ने परमिशन नहीं दी। देवगढ़ से ताल, लसाणी, भीम, जवाजा रूट का सुझाव मिला। इसका सर्वे हो चुका है, लेकिन केबिनेट कमेटी की क्लीयरेंस मिलना बाकी है। प्रकाश मांडोत, रेल विकास मामलों के जानकार