भीलवाड़ा. लॉकडाउन के बाद अब श्रमिक संकट आने वाला है। अन्य राज्यों से लोग यहां बड़ी तादाद में आए लेकिन ये ज्यादा मेहनत का काम नहीं कर सकते हैं। यहां जो काम चल रहा है या उद्योग धंधे हैं, उनमें श्रमिकों की कमी से परेशानी बढ़ेगी। भीलवाड़ा वस्त्रनगरी है। इसमें 12-12 घंटे काम होता है। इसमें उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड आदि राज्यों के श्रमिक ही काम करते हैं। प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, यहां कपड़ा फैक्ट्रियों में एक लाख से सवा लाख बाहर के श्रमिक काम करते हैं। इनमें करीब 20 हजार श्रमिकों ने अपने घर जाने के लिए पंजीयन कराया। कई श्रमिक ऐसे हैं जो बिना पंजीयन ही जाना चाहते हैं। इनका कहना है कि अब यहां फैक्ट्रियों में पूरा वेतन नहीं मिल रहा है। ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो गया।
सडक़ों के लिए आते बंगाली श्रमिक
जिले में जो निर्माण कार्य चल रहे हैं। इनमें 20 से 25 हजार श्रमिक बंगाली हैं। ये लोग सडक़ व भवन निर्माण, लाइन डालने के लिए सडक़ खोदने का काम करते हैं। अब यह श्रमिक अपने गांव जाना चाहते हैं। इससे परेशानी आ सकती है।
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जम्मू के श्रमिक करते हैं लोडिंग
ट्रांसपोर्टनगर में जम्मू के करीब दो हजार श्रमिक हैं। ये माल लॉडिंग-अनलॉडिग करते हैं। अब ये श्रमिक धीरे-धीरे अपने देस जा रहे हैं। इनका कहना है कि अब यहां पर काम नहीं कर सकते हैं। व्यापारियों का मानना है कि यहां के श्रमिक इतना वजन नहीं उठा सकते हैं।
आ गए आइसक्रीम वाले
देश के 29 राज्यों में भीलवाड़ा के करीब दो लाख युवा आइसक्रीम व हलवाई का काम करते हैं। अब ये लोग जिले में आ रहे हैं। अब तक 50 हजार से ज्यादा आ चुके। अगले एक साल तक उन राज्यों में आइसक्रीम का काम नहीं चल सकता है। इनको यहीं पर काम करना पड़ेगा।
खेती व मनरेगा की आसरा
स्थानीय लोग इतनी मेहनत का काम नहीं कर सकते हैं। ऐसे में खेती व मनरेगा में काम का ही विकल्प बचा है। आने वाले समय में मनरेगा में ज्यादा काम की मांग बढ़ेगी। कई लोगों ने अपने बंजर खेत ठीक करना शुरू कर दिया है। अब वे बरसात से आते ही बुवाई करेंगे।
नहीं हुई व्यवस्थाएं, जा रहे हैं पैदल
लॉकडाउन में फंसे होने के कारण कई श्रमिक पैदल गांव रवाना हो रहे हैं। पैदल हजारों किमी की यात्रा कर रहे हैं। हाल में भीलवाड़ा में सूरत से पैदल आया युवक कोरोना संक्रमित मिला। ऐसे कई लोग हैं जो अब वाहन की व्यवस्था नहीं होने से पैदल आ-जा रहे हैं।
वर्जन
भीलवाड़ा जिले से 15 से 20 हजार श्रमिकों ने बाहर जाने तथा 40 से 50 हजार ने आने के लिए पंजीयन कराया है। कई लोग आए हैं। किसी भी श्रमिक को परेशानी नहीं हो, ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं।
राजेंद्र भट्ट, जिला कलक्टर