बेसहारा मासूम की जिंदगी को मिला नया 'आसरा
मदर टेरेसा होम में होगी देखभाल

उदयपुर/ गोगुंदा. कहावत है कि 'मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता हैÓ अपनों के रहते हुए बेसहारा हुई वडून्दिया निवासी मासूम नरेश की जिंदगी में वर्ष 2018 का यह सोमवार कुछ इसी कहावत चरितार्थ करता दिखा। जन्म होते ही पिता की मौत हो गई। कुदरत का कहर यहां भी नहीं थमा और दुधमुंहे मासूम को मां भी अकेला छोड़कर अन्यत्र नाते चली गई। तभी काका की ममता उस अनाथ के लिए कुछ समय का सहारा बन गई, लेकिन खुद की गरीबी और परिवार की चिंता के बीच चार साल बाद काका ने भी मासूम के पालन पोषण करने से हाथ खड़ा कर दिया।
तभी वडून्दिया गांव (गोगुंदा तहसील) स्थित रेबारियों का खेड़ा निवासी नरेश गमेती (5) की जिंदगी ने तब करवट ली, जब गैर सरकारी संस्था 'आसरा जतनÓ के प्रतिनिधि राजेश शर्मा को मासूम के कुपोषण की जानकारी मिली। राजेश के प्रयास से मासूम पहले सीएचसी पहुंचा। बाद में उसे अतिकुपोषित केंद्र में पहुंचाया गया। एक माह में नरेश स्वस्थ हो गया। अब संस्था प्रतिनिधि को एक बार फिर नरेश के भविष्य की चिंता सताई तो संस्था ने उसके बालिग होने (१८ वर्ष) तक पूरा खर्च होने की जिम्मेदारी उठाई। इससे पहले बाल कल्याण समिति के सदस्य बीके गुप्ता के सहयोग से उसे मदर टेरेसा शेल्टर होम में रखना तय हुआ। सोमवार को प्रयासों के तहत नरेश को स्मेल्टर होम में शिफ्ट किया गया। गौरतलब है कि बेसहारा की जिंदगी को लेकर राजस्थान पत्रिका ने समय-समय पर खबरों के माध्यम से संस्था एवं प्रशासनिक अमले का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया।
काका का इसलिए इनकार
नरेश के काका ने एक साल के मासूम को तीन साल तक बड़ा किया। तभी आर्थिक तंगी के बीच काका गोपाराम ने खुद के तीन बच्चों के पालन पोषण को लेकर चिंता जताई और भाई के लड़के नरेश को पालने में असमर्थता दिखाई।
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