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उदयपुर: बीमा कंपनियों की सेवा में दोष, मेडिक्लेम की पूरी राशि चुकाने के आदेश

locationउदयपुरPublished: Oct 26, 2017 09:27:10 am

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

उदयपुर. मेडिक्लेम पॉलिसी की अवधि के भीतर ही इलाज करवाने के बावजूद बीमा कंपनियों ने दो परिवादियों के इलाज खर्च के आधे बिल का भी भुगतान नहीं किया।

उदयपुर . मेडिक्लेम पॉलिसी की अवधि के भीतर ही इलाज करवाने के बावजूद बीमा कंपनियों ने दो परिवादियों के इलाज खर्च के आधे बिल का भी भुगतान नहीं किया। प्रार्थना पत्र पेश होने पर स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष के.बी. कट्टा, सदस्य सुशील कोठारी व बृजेन्द्र सेठ ने बीमा कंपनियों की सेवा को दोषपूर्ण माना। न्यायालय ने बीमा राशि को आदेश दिए कि वह कटौती गई गई राशि के अलावा परिवादियों को मानसिक व शारीरिक कष्ट का भी अलग से भुगतान करें।
हिरणमगरी स्थित डॉ. हेडवेकर नगर निवासी दिलीप कुमार पुत्र भगवतीलाल खंडेलवाल व उसकी पत्नी निम्मी ने भारतीय स्टेट बैंक जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (दैत्यमगरी, सहेलियों की बाड़ी) के खिलाफ अर्जी दी थी। बताया कि उन्होंने कंपनी से अप्रेल 2015 से एक वर्ष की मेडिक्लेम पॉलिसी करवाई थी। इसी बीच निमोनिया होने पर निम्मी को उपचार के लिए अमेरिकन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
छह दिन भर्ती रहने के बाद 52 हजार 146 रुपए अस्पताल व 16 हजार 756 रुपए की दवाइयों सहित 68 हजार 722 रुपए का बिल बना। बीमा कंपनी ने सिर्फ 29 हजार 933 रुपए का भुगतान किया। न्यायालय ने वाद को आंशिक स्वीकार कर बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह दो माह में परिवादी को क्लेम राशि के 18998 रुपए व पांच हजार रुपए मानसिक व शारीरिक व्यय के अलग से अदा करें।
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हाथ का ऑपरेशन फिर भी नहीं किया पूरा भुगतान
सेक्टर-3 स्थित कल्पतरु निवासी सुमन पत्नी ज्ञानप्रकाश बिसारिया ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी (बापूबाजार) जरिए मैनेजर के खिलाफ प्रार्थना पत्र पेश किया। बताया कि कंपनी से 31 मार्च 2015 से एक वर्ष के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी ली थी। इस अवधि में उसके दाहिने हाथ की कोहनी में फ्रैक्चर हो गया। उपचार के लिए अहमदाबाद के साल हॉस्पिटल में भर्ती रही, जहां ऑपरेशन हुआ। उपचार पर 88 हजार 712 रुपए खर्च हुए, लेकिन बीमा कंपनी ने 27 हजार 712 रुपए का ही भुगतान किया।
विपक्षी ने पॉलिसी की शर्तों के विरुद्ध मनमानी कटौतियां की। जिन मदों में कटौतियां कीं, उनका उल्लेख ही नहीं था। न्यायालय ने वाद आंशिक स्वीकार कर बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह परिवादिया को क्लेम राशि के 35 हजार 144 रुपए, परिवाद व अन्य खर्च के 5 हजार रुपए दो माह में अदा करे।
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