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उदयपुर

सलाम इन्हें, जो दो साल से जिंदगियां बचाने के लिए इस जंग में डटे हैं

अंतरराष्ट्रीय नर्सेज दिवस विशेष

उदयपुरMay 12, 2021 / 04:31 pm

madhulika singh

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उदयपुर. कोरोना के इस दौर में जो रियल हीरोज बन कर उभरे हैं, वे हैं फ्रं टलाइन वर्कर्स, इनमें डॉक्टर्स से लेकर नर्सेज तक शामिल हैं, जो रात-दिन अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की जान बचाने में लगे हैं। नर्सिंग स्टाफ के योगदान को बिल्कुल दरकिनार नहीं किया जा सकता क्योंकि इस दौर में जहां अपने भी कोरोना मरीजों के पास नहीं रहना चाहते, वहीं, वे इनकी तिमारदारी करते हैं। कई बार मरीजों से एक भावनात्मक रिश्ता भी कायम हो जाता है। इनके खुद के परिवार हैं, जो इनकी सलामती की दुआ करता हैं, लेकिन ये बस, जिंदगियाां बचाने के लिए इस जंग में डटे हुए हैं।

दो बार प्रशासनिक सेवा में हुए चयनित लेकिन फिर भी नर्सिंग सेवा को चुना :

एमबी चिकित्सालय के कार्डियोलॉजी के आईसीयू वार्ड में कार्यरत नर्स ग्रेड सेकंड कमलेश मेहता का दो बार प्रशासनिक सेवा में चयन हो चुका है। वे देवस्थान व रसद विभाग में भी सेवाएं दे चुके हैं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने नर्सिंग के पेशे को चुना। कमलेश का मानना है कि नर्स का पेशा सेवा का है। इस सेवा में उन्हें सुकून मिलता है। कोरोना के दौरान उन्होंने मरीजों की सेवा की। इस दौरान वे खुद और पूरा परिवार भी पॉजिटिव हो गया। लेकिन, हिम्मत नहीं हारी और इससे उबर कर फिर से ड्यूटी पर तैनात हो गए।
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जब मरीज ठीक होकर घर जाता है, उसी में मिलता है सुकून :

एमबी चिकित्सालय के मेडिकल आईसीयू में कार्यरत नर्स ग्रेड द्वितीय मर्सी केएम. पिछले साल से ही इस मुश्किल दौर में सेवाएं दे रही हैं। मर्सी ने बताया कि उन्हें इस सेवा में 22 साल हो गए लेकिन अब तक ऐसा बुरा दौर नहीं देखा। वे 7 से 8 घंटे रोज मरीजों की जिंदगियां बचाने के लिए डटे रहते हैं। इस दौरान उनका पैर भी फ्रै क्चर हो गया था लेकिन तब भी वे अपने कर्म से पीछे नहीं हटीं। मर्सी ने बताया कि उनके घर में 80 साल की बुजुर्ग मां है, दो बेटियां हैं। पति जॉर्ज चाको आरएसईबी में कार्यरत हैं। वे सभी उनकी चिंता में रहते थे, जब ये दौर शुरू ही हुआ था। वे कहती हैं, जब मरीज ठीक होकर घर जाता है, तब उन्हें सुकून मिलता है।
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मुश्किल हालात में भी सकारात्मक रहने के लिए देते हैं हौसला :

पन्नाधाय राजकीय चिकित्सालय में कार्यरत नर्स ग्रेड प्रथम अरुणा कुमावत आरटीपीसीआर की इंचार्ज हैं। वे बताती हैं कि मरीजों को इन मुश्किल हालात में भी सकारात्मक रहने के लिए हौसला देती हैं। मरीजों को कभी भी कोई समस्या होने पर उन्हें बेझिझक कॉल करने के लिए भी कहती है ताकि कोई भी समस्या हो तो वे तुरंत उसे निपटा सके।
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