जिस तरह से तीन नदियों का त्रिवेणी संगम उस स्थान को तीर्थ बना देता है और उस पवित्र स्थान पर जाकर जैसे सभी पाप, कष्ट, रोग और विकार दूर हो जाते हैं, वैसे ही जीवन में यदि आस्था, आरोग्य और आनंद की त्रिवेणी मिल जाए तो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक रूप से सभी कष्ट और रोग दूर किए जा सकते हैं।
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उदयपुर. कोरोना महामारी के दौरान आस्था, आरोग्य और आनंद तीनों का महत्व और भी अधिक है। इन दिनों जिस भय से गुजर रहे हैं उसके लिए मन में अपने आराध्य के प्रति आस्था बनाए रखनी चाहिए, निरोगी रहने के लिए योग का नियमित अभ्यास करना चाहिए और जीवन में आनंद के लिए संगीत से बढकऱ और कुछ नहीं है। ये त्रिवेणी ही मन और शरीर को निर्मल बनाए रखेगी। इन तीनों का संगम 21 जून के दिन हो रहा है। यानी आज साल का सबसे लंबा दिन भगवान की आराधना करने, योग करने और संगीत सुनने में बिताएं –
1. निर्जला एकादशी पर दिखाएं ‘आस्था’ : भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है, एतां विभूतिं योगं च मम यो वेत्ति तत्त्वत:। सोऽविकम्पेन योगेन युज्यते नात्र संशय:॥ अर्थात – ‘जो व्यक्ति ईश्वर को सच्चे मन से स्वीकार करता है और परमात्मा में पूरी आस्था रखता है भगवान उसका कभी बुरा नही होने देते।’
ज्योतिषियों के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत का पुण्य 24 एकादशी के व्रतों के बराबर है। इस दिन निर्जल रह कर व्रत करें। इसके अलावा इससे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति भी होती है। इस दिन अच्छे स्वास्थ्य तथा सुखद जीवन की मनोकामना पूरी की जा सकती है। भगवान विष्णु की पूजा कर पीले फल, फूल, पकवान का भोग लगाएं। दीपक जलाकर आरती करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। ब्राह्मण को दान दें और फिर व्रत का पारण करें।
2. योग दिवस पर योग कर पाएं ‘आरोग्य’ : भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है, कर्मसु योग: कौशलम् अर्थात् – ‘कर्मों में योग ही कुशलता है।’ योगाचार्यों के अनुसार, भारत में प्राचीनकाल से ही योग स्वस्थ जीवन का सूत्र रहा है। आज आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी कई तरह के रोगों और स्वस्थ जीवन के लिए योग की सलाह देता है। योग केवल योगासनों तक ही सीमित नहीं है, ये स्वस्थ जीवन जीने की कला है। आज महामारी के इस दौर में शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है, ऐसे में योग ना केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखता है। तनाव कम कर सकारात्मक ऊर्जा देता है।
3. संगीत दिवस पर संगीत लें भरपूर ‘आनंद’ : भृतहरि ने कहा है, साहित्य संगीत कला विहीन: साक्षात्पशु: पुच्छविषाणहीन: । अर्थात – ‘जो मनुष्य साहित्य, संगीत, कला, से वंचित होता है वह बिना पूंछ तथा बिना सींगों वाले साक्षात् पशु के समान है।’
संगीत विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना काल में जो नकारात्मकता का माहौल है, उसमें खुद को सकारात्मक बनाए रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए संगीत किसी भी दवा से कम नहीं है। संगीत ना केवल एक कला है बल्कि मानसिक या बौद्धिक शक्ति को संतुलित करने का जरिया भी है। यह बात कई शोधों में भी साबित हो चुकी है। विज्ञान जगत भी मान चुका है कि साज से निकली तरंगें इंसान के मस्तिष्क को मानसिक अवसाद से दूर रखने में सहायक हैं। वहीं, संगीत से मिली सकारात्मकता मन के साथ ही शरीर पर ही अच्छा असर पड़ता है। इसलिए जितना संभव हो उतना ही मनपसंद संगीत सुनें।
4. सबसे लंबा दिन आज : आज के दिन को ग्रीष्म संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य उत्तरी गोलार्ध से चलकर भारत के बीच से गुजरने वाली कर्क रेखा में आ जाता है, इसलिए इस दिन सूर्य की किरणें धरती पर ज्यादा समय के लिए पड़ती हैं। इस दिन सूर्य की रोशनी धरती पर करीब 15-16 घंटे तक पड़ती हैं। इसके कारण 21 जून को साल का सबसे लंबा दिन होता है। प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है। पौराणिक कथाओं में ऐसा कहा गया है कि योग का सबसे पहला उल्लेख भगवान शिव द्वारा उनके सात शिष्यों के बीच ग्रीष्म संक्रांति के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा को दिया गया था।