Q-गांवों तक रोडवेज बस की व्यवस्था नहीं है, स्थिति में सुधार कैसे होगा?
A-अभी तक जितनी रोडवेज बसें चल रही थीं, वह खटारा थीं। हमारी सरकार ने नई बसें खरीदी हैं, जो जल्द ही उपलब्ध होंगी। वसुंधरा सरकार ने ग्रामीण परिवहन बसें चलाई थी, जो गहलोत सरकार ने बंद कर दी। रोडवेज गांवों तक पहुंचे, सुरक्षित आवागमन हो, ऐसा प्रयास है। उदयपुर को भी जल्द ही नई बसें मिलने वाली हैं।
Q-गांवों में शिक्षक, चिकित्सकों की कमी है, व्यवस्था कैसे सुधारेंगे?
A-जनजाति क्षेत्र में शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षा का स्तर भी कमजोर रहता है। चिकित्सक और बाकी कार्मिकों की भी कमी है। सत्ता बदलती है तो कर्मचारी किसी न किसी के खास बन जाते हैं। कर्मचारी शहर के आसपास बहुत हैं, उन्हें गांवों में भेजने के लिए कहा है। गांवों में सुविधा के लिए सीएम से भी कहूंगा। साथ ही प्रयास करेंगे कि जो कर्मचारी गांवों का रुख करते हैं, उन्हें प्रोत्साहित किया जाए।
Q-ग्रामीण प्रतिभाएं कैसे आइएएस-आइपीएस बनेंगी?
A-जनजाति विकास विभाग सालों से काम कर रहा है, बजट भी खूब खर्च हुआ, लेकिन उतना विकास नहीं हुआ। विधानसभा में भी मुद्दा कई बार उठाया है। शिक्षा का जैसा माहौल बनना चाहिए, नहीं बन पाया। अभी तक हम सरकारी नौकरी तक ही सोच रहे थे। मैंने स्पष्ट किया कि जनजाति क्षेत्र से आइएएस-आइपीएस चाहता हूं, उसके लिए कॉचिंग कराइए। कॉचिंग पहले ही हो रही है तो परिणाम अच्छा क्यों नहीं? बताया कि जिस गुणवत्ता की कॉचिंग होनी चाहिए, वे विभागीय प्रक्रिया में नहीं आते, क्योंकि वे जितना खर्च मांगते हैं, उतना विभाग नहीं दे पाता है। मैंने तय किया है कि सीएसआर फंड से अच्छी कोङ्क्षचग कराएंगे। अच्छे कॉचिंग संस्थानों से पढ़ाई कराएंगे। एमओयू करके विज्ञप्ति जारी करेंगे। तय किया है कि 80 फीसदी से अधिक अंक वाले विद्यार्थियों को आइएएस, आइपीएस की कॉचिंग कराएंगे। एमओयू में भी शर्त रखी है कि परिणाम नहीं देने पर कॉचिंग सेंटर का भुगतान रोकेंगे। क्योंकि हमें सफल परिणाम चाहिए।
Q-गांवों में सुविधाएं पहुंचाने में फोरेस्ट एरिया बड़ी समस्या है, क्या करेंगे?
A-धारा 3 (1) जे के तहत प्रावधान है कि वन क्षेत्र में भी मूलभूल सुविधा दे सकते हैं। राज्यपाल की बैठक में भी यह बात रखी। प्रयास यही है कि सालों से बसे गांवों तक बिजली, सडक़ पहुंचे। जिला कलक्टर को भी कहा है कि जहां आरक्षित वन नहीं है, वहां जमीन के बदले जमीन देकर सुविधाएं पहुंचाई जा सकती है।
Q-टीएसपी क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने के लिए क्या रोडमैप तैयार किया है?
A-निश्चित तौर पर पलायन बड़ा मुद्दा है। स्थानीय क्षेत्र में रोजगार के संसाधन उपलब्ध नहीं होने के कारण पलायन होना बड़ी समस्या है। वन उपज इकट्ठा करके, उसे उचित बाजार उपलब्ध कराएंगे। बांस, शहद, तेंदूपत्ता, सीताफल आदि कई तरह की सामग्री आय का जरिया बन सकती है। रोजगार यहीं मिले तो पलायन अपने-आप रुक जाएगा।
Q-हमारे यहां प्रोसेङ्क्षसग यूनिट नहीं होने से सीताफल भी बाहर से आते हैं, यहां बढ़ावा देने के लिए क्या करेंगे?
A-हमारे जंगलों में सीताफल जैसे प्राकृतिक उत्पाद भी बहुतायत में होते हैं। पैदावार की कोई कमी नहीं है। औद्योगिक विकास विभाग से जमीन की बात हुई है। रिको क्षेत्र विकसित करने का प्रयास है, लेकिन जमीन नहीं मिल रही है। कोई व्यक्ति जमीन देने को तैयार है तो उचित मुआवजा देने की बात भी चल रही है।
Q-मौताणे की वजह से कई परिवार पलायन कर जाते हैं, पुनर्वास के लिए क्या करेंगे?
A-जातिगत झगड़े की वजह से ऐसा होता है। समझाइश करके वापस बसाएंगे। कई बार पहल नहीं करते और कुछ मामले राजनीतिक सपोर्ट की वजह से नहीं सुलझ पाते। मांडवा में भी ऐसा मामला है। मैंने आइजी से पुनर्वास कराने के लिए कहा। जो घटना है, उसकी नियमानुसार सजा मिले, लेकिन परिवार बसे।
Q राजस्थान-गुजरात बॉर्डर पर जमीन के हक का विवाद है, समाधान कैसे होगा?
A-बरसात में फसल और जमीन पर हक के लिए मरने-मारने को उतारू हो जाते हैं। मैंने पहले भी दोनों राज्यों की सरकारों से सवाल किए हैं। दोनों राज्यों का सीमांकन तो पहले हो गया। ठीक करने के दो ही तरीके हैं। जो जहां बैठा है, वहीं रह जाए, जमीन का आदान-प्रदान कर ले या एक-दूसरे को सहयोग करे।
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