scriptमहाराणा प्रताप के वंशज लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ से खास मुलाकात, जानिए चुनाव लड़ने के सवाल पर क्या बोले | Interview Of Lakshyaraj Singh Mewar | Patrika News
उदयपुर

महाराणा प्रताप के वंशज लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ से खास मुलाकात, जानिए चुनाव लड़ने के सवाल पर क्या बोले

Lakshyaraj Singh Mewar Interview: पत्रिका टी-टॉक में सवालों से रूबरू हुए पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़।

उदयपुरMar 06, 2024 / 11:07 am

अभिषेक श्रीवास्तव

lakshya_raj_singh_mewar.jpg

उदयपुर . शहर, राजनीति और पर्यावरण से जुड़े कई ज्वलंत सवालों का जवाब देने के लिए पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ( Lakshyaraj Singh Mewar Interview) राजस्थान पत्रिका कार्यालय में थे। पत्रिका टी-टॉक में राजस्थान पत्रिका उदयपुर संस्करण के संपादक अभिषेक श्रीवास्तव से हुई विशेष बातचीत में उन्होंने राजनीति, शहर, पर्यावरण, समाज, युवा शक्ति समेत तमाम मुद्दों पर अपनी राय रखी। सेवा और राजनीति से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारा परिवार पीढिय़ों से सेवा कार्य करता आया है। लोकतंत्र हमें इस व्यवस्था में जाने की इजाजत देता है। सेवा करने का मौका मिलता है तो कोई उसे खोना नहीं चाहेगा। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश …

lakshya_raj_singh_mewar__in_tea_talk.jpg
प्रमोद सोनी IMAGE CREDIT: राजस्थान पत्रिका

Q-राजनीति के लिए क्या सोचा है, कब आएंगे?
A- मैं और हमारा परिवार जनता के इस प्यार के लिए कृतज्ञ है। सेवा कार्य हमारा परिवार पीढिय़ों से करता आया है। आज की व्यवस्थाओं में चीजें बदल गई हैं। अब कोई भी काम करने पर राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाता है। जरुरी नहीं है कि हर काम राजनीति के लिए किया जाए। राजनीति में लाभ हो सकता है, लेकिन इसका यही दृष्टिकोण नहीं होना चाहिए। लोकतंत्र हमें इस व्यवस्था में आने इजाजत देता है। समाज सेवा को लेकर खुशी है। तरीके बदले हैं, लेकिन आगे चलकर राजनीति में आ सकते हैं, इसका कोई ठोस जवाब नहीं है।

https://youtu.be/l8q5zY3cC8s

Q-विधानसभा चुनाव में भी चर्चा थी, राजसमंद को लेकर भी चर्चा है, क्या कहेंगे?
A- सेवा करने का मौका मिलता है तो कोई उसे खोना नहीं चाहेगा। हमारा कर्तव्य भी बनता है। निर्णय सिर्फ मुझे नहीं लेना है। जिस दिन ठोस बात होगी, जवाब दिया जाएगा। मुलाकातें, चर्चाएं और बातचीत तो हमेशा से चलती रहती है। जब तक मुकाम तक नहीं पहुंचे, कुछ कह नहीं सकते। विधानसभा चुनाव में भी चर्चाएं हुई, इससे इनकार नहीं है। चर्चा अंजाम तक नहीं पहुंचे तो चर्चा ही रहती है। भविष्य में किसी भी दल के लिए द्वार खुले हैं।

lakshya_raj_singh_mewar_with_abhishek_shrivastava.jpg
प्रमोद सोनी IMAGE CREDIT: राजस्थान पत्रिका

Q-परिवार की सदस्य निवृत्ति कुमारी मेवाड़ को लेकर क्या सोचते हैं?
A- लोग मुझे कई कार्यक्रमों में स्नेह से आमंत्रित करते हैं, मैं हर जगह नहीं पहुंच पाता हूं, ऐसे में वे जाते हैं। कोशिश रहती है कि मिलजुलकर काम किया जाए। हर जगह मेरा जाना नहीं हो पाता। पत्नी का हमेशा साथ रहता है। वे भी राजनीति में आएंगी या नहीं, इस बारे में अभी कोई ठोस जवाब नहीं है।

Q-पढ़ाई के दौरान आपने काम किया, मोटिवेशन के तौर पर क्या कहेंगे?
A- मेहमान नवाजी हमारी परंपरा में रही है। ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है। ये एक दिन का नहीं, प्रतिदिन का काम है। काम वही है, जो घर में करते रहे हैं। यही संस्कार परिवार से मिले। पिता ने भी काम किया। मुश्किलों भरा समय भी देखा है। हमारी भाषा-संस्कृति को समझना होगा। संस्कृति कहती है कि कोई अपनी चौखट से भूखा नहीं जाए। जिस शिक्षा को मैंने सीखा, वह हॉस्पिटेलिटी का काम है। यह काम हर व्यक्ति को करना चाहिए। सबसे बढिय़ा साथी हमारी मेहनत है।

lakshya_raj_singh_mewar_in_rajasthan_patrika_office.jpg
प्रमोद सोनी IMAGE CREDIT: राजस्थान पत्रिका

Q-आने वाले समय में उदयपुर के लिए आपका क्या विजन है?
A- भारत युवा देश कहलाता है। जब युवा शक्ति है तो उसे दिशा की जरुरत है। जो मैं स्वयं कर रहा हूं, उदयपुर को आगे बढ़ाने के लिए। 1900 शताब्दी ब्रिटेन की थी, 20वीं शताब्दी अमरीका की। 21वीं भारत की हो सकती है, लेकिन सिर्फ शिक्षा के माध्यम से। युवाओं को शिक्षित होने की जरुरत है। युवा सोच को उभारने के लिए काम करने चाहिए। स्मार्ट सिटीजन और पढ़े-लिखे युवाओं की जरुरत है।

Q-कई देशों में गए हैं, विदेश में ऐसा क्या देखा, जिसकी भारत में कमी है?
A- कॉमन सेंस। अन्य संस्कृति से प्रभावित होते हैं। जबकि हमारी संस्कृति सबसे ताकतवर है। हमारी संस्कृति से लगाव की जरुरत है। देश में सस्ती चीज हमारी जान को बना रखा है और जिम्मेदार किसी और को ठहराना चाहते हैं। मैं पढूं नहीं और शिक्षक को दोष दूं, इसका क्या मतलब। मोबाइल ने हम सबको गुलाम बना दिया है।

Q-भाषा भी विरासत का हिस्सा है, लेकिन नई पीढ़ी को मायड़ भाषा में बात करने में शर्म आती है, क्या कहेंगे?
A- निश्चित रूप से मातृभाषा से ही हमारी पहचान है, नौजवानों को यह समझना होगा कि अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा में जो बात कही जा सकती है, उसे अपनी भाषा में कहने में कैसी शर्म ? मैं अपनों के बीच मेवाड़ी में ही बात करता हूं और मेरे बच्चे भी मेवाड़ी बोलचाल में ज्यादा सहज होते हैं।

Q-500 साल पहले योजनाबद्ध रूप से उदयपुर बसा, अब पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किया जा रहा है, झीलों का प्रवाह बर्बाद किया जा रहा है, क्या कहेंगे ?
A- यह एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं, उदयपुर शहर सभी का है। एक पर जिम्मेदारी थोपना ठीक नहीं है। हम सभी को बांटनी पड़ेगी। विकास 500 साल में विनाश के लिए नहीं किया गया। प्रकृति के हित में किया गया। इंसान ने इन झीलों को बनाया। आजादी के समय शहर की आबादी 55000 थी, अब 7-8 लाख हो चुकी है। जिम्मेदारी और कद्र सभी को समझनी होगी। विकास को रोक नहीं सकते, लेकिन विनाश की कीमत पर नहीं हो। जिम्मेदार विकास का स्वागत है, अन्यथा त्रुटियां सुधारनी चाहिए।

https://youtu.be/rURVDG4Efss
Q-आप यूथ आइकॉन हैं, यूथ को क्या करना चाहिए?
A- लक्ष्य के ऊपर दृढ़संकल्प लेकर, जुझारू होकर काम करें, जिसका असर दिखे। जमीन पर दिखने वाले काम हों। युवाओं में जोश, उत्साह है। अनुभवी लोग दिशा दें, मदद करें। काम छोटा-बड़ा नहीं होता है योगदान बड़ा होता है। लक्ष्य तय करके उस पर राज करने का प्रयास करें। कुदरत खयाल रखेगी।

बोले, मैं राजस्थान पत्रिका पढ़ता हूं
राजस्थान पत्रिका विश्वास, भरोसे का प्रतीक है। अपनापन लगता है। पत्रिका हमारी और लोगों की बातें हम तक पहुंचाता है। मैं हमेशा राजस्थान पत्रिका पढ़ता हूं।

Home / Udaipur / महाराणा प्रताप के वंशज लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ से खास मुलाकात, जानिए चुनाव लड़ने के सवाल पर क्या बोले

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो