—– रहने लायक ही नहीं है ये छात्रावास- ये छात्रावास सही माने में तो रहने के लायक ही नहीं है। यहां अधिकांश कमरों की दीवारों पर सीलन उभरी हुई है। छते बेकार हो चुकी है जहां से प्लास्टर उखडऩे लगा है, अलमारियां टूटी पड़ी है तो फर्श भी बिखरने लगा है। कई कमरे तो इतने जर्जर हो चुके है कि इसमें कोई रहने के लिए राजी नहीं है। – पूरे छात्रावास में जगह-जगह गंदगी रहती है, साफ-सफाई केवल नाम की है।- मैस और समीप से गुजर रही नालियों की सफाई भी मैस संभालने वाले मांगीलाल और उनकी टीम को करनी पड़ती है, उन्होंने पत्रिका को बताया कि भोजन कक्ष में भी सफाई का जिम्मा उन्हीं के सिर पर है। – पीने का पानी जिन ऊपर रखी टंकियों से आता है, छत पर रखी उन टंकियों के ढक्कन तक नहीं है, टूटी हुई टंकियों में कई छोटे-छोटे जीव पनपने लगे है। इस पानी के लिए आरओ नहीं है। – नियमानुसार प्रत्येक छात्रावास में वाई-फाई की सुविधा जरूरी है, जबकि यहां पर सारे कम्यूनिकेशन के डिब्बे और तार तक लटक चुके हैं। – यहां कोई अधिकारी कभी भी जांच के लिए नहीं पहुंचता। – अधिकांश खिड़कियां टूटी हुई है, कांच की जगह यहां स्टूडेंट्स ने कागज और गत्ते डाल रखे हैं।
—— बदबू मारते शौचालय, स्टूडेंट्स बोले किसे कहें डर लगता हैछात्रावास में शौचालय बदबू मार रहे हैं। ठीक करवाने के लिए कहने की बात पर कुछ विद्यार्थियों ने पत्रिका को बताया कि वे किसे अपनी पीड़ा सुनाए, डर लगता है। ठीक करने की बजाय हमारी पढ़ाई में कहीं समस्याएं खड़ी नहीं हो जाए।
—- मैस के पीछे कचरे का कोना यहां जो भी व्यक्ति सफाई करने आता है, वह सफाई कर कचरे को परिसर से बाहर नहीं डालता। उसे उठाकर वहीं मैस के पीछे पार्र्किंग शेड एरिया में कोने में डाल देता है, यहां काम करने वाले स्टाफ ने इसका नाम ही कचरे वाला कोना रख दिया है। जिस कोने में ये कचरा फेंक रहे हैं, वह मैस से बिलकुल सटकर है।
—- संबंधित अधिकारी से इसकी रिपोर्ट मांग रहे हैं, ताकि जो समस्याएं हैं, उन्हें दूर किया जा सके। जो नए भवन है उनमें विद्यार्थियों को आवश्यकता पडऩे पर शिफ्ट करेंगे। डॉ लाखन पोसवाल, प्राचार्य आरएनटी मेडिकल कॉलेज
—