– नहीं हारेंगे: अकिल अहमद, वेन चालक
ये उस वेन को चलाकर लाने वाले अकिल अहमद है, जो उदयपुर में हाथीपोल निवासी हैं। बकौल अकिल बुधवार को हवाई अड्डे से वैक्सीन लेकर निकले तो ऐसा लगा कि जैसे कोरोना पर विजय पा ली हो। अंदर से इतनी शांति मिली कि हम सभी खुशी से उछल पड़े। 55 वर्षीय अकिल अहमद ने बताया कि वह करीब 15 वर्ष से वैक्सीन सेक्शन में कार्य कर रहे हैं।
ये उस वेन को चलाकर लाने वाले अकिल अहमद है, जो उदयपुर में हाथीपोल निवासी हैं। बकौल अकिल बुधवार को हवाई अड्डे से वैक्सीन लेकर निकले तो ऐसा लगा कि जैसे कोरोना पर विजय पा ली हो। अंदर से इतनी शांति मिली कि हम सभी खुशी से उछल पड़े। 55 वर्षीय अकिल अहमद ने बताया कि वह करीब 15 वर्ष से वैक्सीन सेक्शन में कार्य कर रहे हैं।
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– दौडऩे लगा पहिया: मोहम्मद अकरम खान -वैक्सीन स्टोर मैनेजर कोरोना वैक्सीन को जैसे ही वैन में रखा गया तो ऐसा लगा कि फिर से जिंदगी का पहिया दौडऩे लगा हो। मन बेहद खुश था, अब महसूस हो रहा था कि महीनों की जेल से मुक्ति मिलने वाली है। उदयपुर में मल्लातलाई निवासी खान ने बताया कि वह अर्से से इस पल का इंतजार कर रहे थे।
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– दौडऩे लगा पहिया: मोहम्मद अकरम खान -वैक्सीन स्टोर मैनेजर कोरोना वैक्सीन को जैसे ही वैन में रखा गया तो ऐसा लगा कि फिर से जिंदगी का पहिया दौडऩे लगा हो। मन बेहद खुश था, अब महसूस हो रहा था कि महीनों की जेल से मुक्ति मिलने वाली है। उदयपुर में मल्लातलाई निवासी खान ने बताया कि वह अर्से से इस पल का इंतजार कर रहे थे।
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पहली बार ऐसा देखा: पहली बार हम इस तरह से किसी वैक्सीन को लेने लिए एयरपोर्ट गए थे। वेन चलाने का काम करते हुए सत्यनारायण को डेढ़ दशक से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन कोरोना के हाल से वह भी दुखी थे। जगदीश चौक क्षेत्र निवासी चालक सत्यनारायण ने बताया कि जैसे ही वैक्सीन वेन में रखी तो मन भावुक हो गया। इससे पहले तो अन्य वैक्सीन स्टोर तक ट्रैक्टर में लाई जाती रही है।