—-
केस दो: मल्ला तलाई निवासी कमलाशंकर और हेमलता मेघवाल के तीन साल के बेटे मोहित के तालू जन्म होने के साथ ही खुला हुआ था, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। बेटा लगातार बीमार रहने पर वे इसे हॉस्पिटल ले गए, नौ माह का होने के बाद उन्हें पता चला कि उसका तालू खुला हुआ है, ऑपरेशन करना होगा। इसे लेकर पति-पत्नी ने कई चिकित्सालयों की ााक छानी, लेकिन सफल नहीं हो पाए, सेटेलाइट हॉस्पिटल लेकर पहुंचे तो उन्हें इस योजना की जानकारी मिली। स्टाफ ने उनकी मदद की और वे १५-१६ इसके ऑपरेशन के लिए राजी हो गए, हालांकि एक समय था जब पिता डर के मारे ऑपरेशन के लिए मना करने लगे थे, अब उसका ऑपरेशन किया गया। उन्हें एक रुपया ार्च नहीं करना पड़ा।
—-
केस तीन: हुसैन ाान पठान ने बताया कि उनके दो साल के बेटे ओवेश तालू और बाहरी हिस्सा कटा हुआ था। इसका ऑपरेशन निजी हॉस्पिटल में करवाया गया। पठान ने बताया कि उसके जन्म के बाद जब उसे दे ाा तो हम परेशान हो गए थे, लेकिन अब वो ऑपरेशन के बाद बिलकुल ठीक हो गया। उसके लिए उन्हें कोई पैसा नहीं देना पड़ा और ना ही कोई समस्या आई।
केस दो: मल्ला तलाई निवासी कमलाशंकर और हेमलता मेघवाल के तीन साल के बेटे मोहित के तालू जन्म होने के साथ ही खुला हुआ था, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। बेटा लगातार बीमार रहने पर वे इसे हॉस्पिटल ले गए, नौ माह का होने के बाद उन्हें पता चला कि उसका तालू खुला हुआ है, ऑपरेशन करना होगा। इसे लेकर पति-पत्नी ने कई चिकित्सालयों की ााक छानी, लेकिन सफल नहीं हो पाए, सेटेलाइट हॉस्पिटल लेकर पहुंचे तो उन्हें इस योजना की जानकारी मिली। स्टाफ ने उनकी मदद की और वे १५-१६ इसके ऑपरेशन के लिए राजी हो गए, हालांकि एक समय था जब पिता डर के मारे ऑपरेशन के लिए मना करने लगे थे, अब उसका ऑपरेशन किया गया। उन्हें एक रुपया ार्च नहीं करना पड़ा।
—-
केस तीन: हुसैन ाान पठान ने बताया कि उनके दो साल के बेटे ओवेश तालू और बाहरी हिस्सा कटा हुआ था। इसका ऑपरेशन निजी हॉस्पिटल में करवाया गया। पठान ने बताया कि उसके जन्म के बाद जब उसे दे ाा तो हम परेशान हो गए थे, लेकिन अब वो ऑपरेशन के बाद बिलकुल ठीक हो गया। उसके लिए उन्हें कोई पैसा नहीं देना पड़ा और ना ही कोई समस्या आई।
उदयपुर. इन माता-पिता ने जब जन्म के बाद पहली बार अपने बच्चों को देखा तो उनका दिल टूट गया था, वे ये सोच कर घबराने लगे थे आखिर इन बच्चों का क्या होगा, कैसे वह सामान्य जीवन जी सकेंगे, इन मुश्किलों में कैसे वे खुद को साबित कर सकेंगे। लेकिन यहां तो जैसे उनके लिए करिश्मा हो गया, उन्होंने एक कदम बढाया तो ईश्वर ने उनके बच्चों को नया जीवन दे दिया एक से एक कई परेशानियों के घेरे में आए इन बच्चों का जीवन सरकार की एक पहल ने बदल कर रख दिया।
—
यहां बात ऐसे बच्चों की है जिनके माता-पिता ने तमाम मुश्किलों में खुद का हौसला नहीं खोया, अपने जिगर के टुकड़ों के बचपन के इस नाजुक मोड़ पर वे इन नन्हें मुन्नों के उपचार के लिए राजी हो गए, अब उनका जीवन बदलने लगा है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ने जैसे उन्हें जीवन वरदान दिया।
—–
यहां बात ऐसे बच्चों की है जिनके माता-पिता ने तमाम मुश्किलों में खुद का हौसला नहीं खोया, अपने जिगर के टुकड़ों के बचपन के इस नाजुक मोड़ पर वे इन नन्हें मुन्नों के उपचार के लिए राजी हो गए, अब उनका जीवन बदलने लगा है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ने जैसे उन्हें जीवन वरदान दिया।
—–
—– क्या है कार्यक्रम: बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम वर्ष २०१५ से शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य ० से १८ वर्ष के बच्चों को ३८ बीमारियों का उपचार करवाना है। शिविरों के माध्यम से ये उपचार किया जाता है। अब तक उदयपुर जिले में ४८४ बच्चों की सर्जरी की गई।
—-
—-
– वर्ष उदयपुर जिले में लगे शिविर २०१५-१८ १२५ २०१६-१८ ५२
—-
अब तक किया गया ार्च वर्षवार १५-१६ १३.५० ला ा
१६-१७ ४८.२० ला ा १७-१८ ३२ ला ा
१८-१९ २६ ला ा
—- इस कार्यक्रम के जरिए बच्चों की जिंदगी लगातार बच रही है, उन्हें नया जीवन मिल रहा है। अब तक जिन बच्चों को ला ा हुआ है, उनके माता-पिता बेहद ाुश हैं।
डॉ अशोक आदित्य, आरसीएचओ व नोडल प्र ाारी उदयपु
डॉ अशोक आदित्य, आरसीएचओ व नोडल प्र ाारी उदयपु