धर्म अनुष्ठान से ही शरीर का सदुपयोग
मुनि पूज्य सागर ने कहा

उदयपुर . पद्मप्रभु दिगंबर जैन मंदिर पहाड़ा में मुनि पूज्य सागर के सानिध्य में आठ दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान के 5वें दिन छह मार्च को 256 अघ्र्य मंडल पर समर्पित किए गए। मूलनायक भगवान पद्मप्रभु का चंदन से अभिषेक किया गया।
सौधर्म इन्द्र लाभ अशोक डागरिया और यज्ञनायक का लाभ मनोहर मधु चित्तौड़ा को प्राप्त हुआ। चार जगह अलग.अलग पंचामृत और शांतिधारा करने का लाभ प्रकाश झगड़ावत, मांगीलाल सलूम्बरीया, वरदीचंद सेमालिया और कमलेश चिबोडिय़ा को प्राप्त हुआ। पद्मप्रभु भगवान पर रजत पुष्पवर्षा की गई। आयोजन के तहत मुनि पूज्य सागर ने प्रवचन में कहा कि सिद्ध भगवान शरीर रहित होते हैं। संसार में शरीर के निमित से ही शुभ, अशुभ कर्म का बंध होता है। शरीर का सदुपयोग तभी होगा, जब हम धर्म अनुष्ठान करेंगे। आयोजन को लेकर श्रावक—श्राविकाओं में उत्साह का माहौल बना हुआ है। विभिन्न प्रकार के पूजा अनुष्ठान हो रहे है। आयोजनों में युवाओं की भी भागीदारी बनी हुई है।
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