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सदैव अपने व्यवहार में नरमी बरतें और कलह से बचें

locationउदयपुरPublished: Nov 16, 2018 03:48:02 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

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उदयपुर. जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में आराधना भवन में चातुर्मास कर रहे प्र्रन्यास प्रवर श्रुत तिलक विजय ने कहा कि गुस्से को रोकने का अनन्य इलाज यह है कि आप आपकी बात पर अकड़ मत करो। हमेशा दूसरों की सुनो। जैसे आप रास्ते पर जा रहे हैंं और बीच में खंभा आया, तो आप हट जाते हो क्योंकि आप चेतन हो वो जड़ है। इसी प्रकार आपने सोचा पालीताणा जाना है, पत्नी ने बोला शंखेश्वर जाना है, अब आप चेतन हो तो अपनी बात में अड़े मत रहो। जब दोनों बात पर अड़े रहते हैंं, तब ही टकराव होता है। इसलिए प्रयास करें कि सदैव अपने व्यवहार में नरमी बरतें और कलह से बचें।
किसी के प्रति नहीं रखें दुर्भावना
मुनि शास्त्रतिलक विजय ने गुरुवार को हिरणमगरी से. 4 स्थित शांतिनाथ जिनालय में आयोजित धर्मसभा में कहा कि हमें जीवन में किस प्रकार की भाषा का उपयोग करना चाहिए। इस पर मंथन करना जरूरी है। कारणकि वह आपके व्यक्तित्व को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि जीवन में किसी के प्रति दुर्भाव का भाव न रखें। जीवन में इस बात का भी ध्यान रखें कि कोई भी पाप की ओर प्रेरित नहीं हों। जरूरत हो उतना ही कार्य करें। वह भी विनय विवेक से भरपूर हो।
अंधकार का नाश करे वो गुरु

आयड़ वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में ऋषभ भवन में चातुर्मास कर रहे मुनि प्रेमचंद ने धर्मसभा में कहा कि गुरु का अर्थ होता है अंधकार नाशक, जो अज्ञान रूपी तिमिर का नाश करता है। गुरु ही भगवान का परिचय कराता है। अत: गुरु का महत्व अधिक है।

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