किसी के प्रति नहीं रखें दुर्भावना
मुनि शास्त्रतिलक विजय ने गुरुवार को हिरणमगरी से. 4 स्थित शांतिनाथ जिनालय में आयोजित धर्मसभा में कहा कि हमें जीवन में किस प्रकार की भाषा का उपयोग करना चाहिए। इस पर मंथन करना जरूरी है। कारणकि वह आपके व्यक्तित्व को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि जीवन में किसी के प्रति दुर्भाव का भाव न रखें। जीवन में इस बात का भी ध्यान रखें कि कोई भी पाप की ओर प्रेरित नहीं हों। जरूरत हो उतना ही कार्य करें। वह भी विनय विवेक से भरपूर हो।
मुनि शास्त्रतिलक विजय ने गुरुवार को हिरणमगरी से. 4 स्थित शांतिनाथ जिनालय में आयोजित धर्मसभा में कहा कि हमें जीवन में किस प्रकार की भाषा का उपयोग करना चाहिए। इस पर मंथन करना जरूरी है। कारणकि वह आपके व्यक्तित्व को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि जीवन में किसी के प्रति दुर्भाव का भाव न रखें। जीवन में इस बात का भी ध्यान रखें कि कोई भी पाप की ओर प्रेरित नहीं हों। जरूरत हो उतना ही कार्य करें। वह भी विनय विवेक से भरपूर हो।
अंधकार का नाश करे वो गुरु आयड़ वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में ऋषभ भवन में चातुर्मास कर रहे मुनि प्रेमचंद ने धर्मसभा में कहा कि गुरु का अर्थ होता है अंधकार नाशक, जो अज्ञान रूपी तिमिर का नाश करता है। गुरु ही भगवान का परिचय कराता है। अत: गुरु का महत्व अधिक है।