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पाल पर स्थापित चारों हाथी जगह-जगह से टूट गए हैं और उनको बचाने के लिए फिलहाल व्हाइट सीमेंट भरी गई लेकिन उससे उनका स्वरूप बिगडऩे लगा है। हाथी पर बैठने की मनाही की इबारत उकेर कर इन्हें और बदरंग कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि चेतावनी लिखने के बाद उन पर बैठने वालों की संख्या ज्यादा हो गई है। कई इन पर चढक़र झील में गोता लगाते हैं तो बड़ी संख्या में पर्यटक सवार होकर सेल्फी लेते हैं।
पाल पर स्थापित चारों हाथी जगह-जगह से टूट गए हैं और उनको बचाने के लिए फिलहाल व्हाइट सीमेंट भरी गई लेकिन उससे उनका स्वरूप बिगडऩे लगा है। हाथी पर बैठने की मनाही की इबारत उकेर कर इन्हें और बदरंग कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि चेतावनी लिखने के बाद उन पर बैठने वालों की संख्या ज्यादा हो गई है। कई इन पर चढक़र झील में गोता लगाते हैं तो बड़ी संख्या में पर्यटक सवार होकर सेल्फी लेते हैं।
कई विभागों का जुड़ाव, पाल वैसी की वैसी जयसमंद झील का जल संसाधन, जलदाय, मत्स्य, वन विभाग एवं पर्यटन विभाग से जुड़ाव है मगर इसके रखरखाव के मामले में कोई धणी-धोरी नहीं था। सरकार ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया इसलिए झील की पाल बद से बदतर होती गई। दिसम्बर २०१६ से पाल पूर्ण रूप से वन विभाग के जिम्मे है और पाल पर विकास के कुछ कार्य हुए मगर स्थिति में विशेष बदलाव नहीं हो पाया है।
सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं
मानसून के दौरान जयसमंद झील पर पर्यटकों व स्थानीय जनता की विशेष भीड़ रहती है। वैसे आम दिनों में भी लोग आते है लेकिन वहां पर सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं है। विरासत से छेड़छाड़ के साथ ही समाजकंटक माहौल खराब कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि प्रवेश शुल्क लिया जा रहा है तो सुरक्षा की दृष्टि से गार्ड या स्टाफ भी तो लगाना चाहिए ताकि कोई रोकने-टोकने वाला तो हो। वैसे वन विभाग की ओर से गार्ड वहां लगाए जाते हैं लेकिन वे मूल जिम्मेदारी के चलते इस ओर ध्यान नहीं देते हैं।
मानसून के दौरान जयसमंद झील पर पर्यटकों व स्थानीय जनता की विशेष भीड़ रहती है। वैसे आम दिनों में भी लोग आते है लेकिन वहां पर सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं है। विरासत से छेड़छाड़ के साथ ही समाजकंटक माहौल खराब कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि प्रवेश शुल्क लिया जा रहा है तो सुरक्षा की दृष्टि से गार्ड या स्टाफ भी तो लगाना चाहिए ताकि कोई रोकने-टोकने वाला तो हो। वैसे वन विभाग की ओर से गार्ड वहां लगाए जाते हैं लेकिन वे मूल जिम्मेदारी के चलते इस ओर ध्यान नहीं देते हैं।
पाल पर ये हैं हाल – जर्जर होते पाषाण निर्मित हाथी – छतरियों पर पोता चूना – पार्क की तरफ से पाल की दीवारें क्षतिग्रस्त – क्यारियों में बेतरतीब फैली घास।
– समाजकंटकों की ओर से की गई तोडफ़ोड़
वन विभाग ने अभी यह किया – पाल के पास रैलिंग लगाई – गार्डन विकसित किया – वाटर कूलर लगाया – पब्लिक टॉयलेट बनाया
वन विभाग ने अभी यह किया – पाल के पास रैलिंग लगाई – गार्डन विकसित किया – वाटर कूलर लगाया – पब्लिक टॉयलेट बनाया
– बच्चों के मनोरंजन का प्लेटफॉर्म – छतरी पर लाइटिंग
इनका कहना है… जयसमंद पाल की सुंदरता बनी रहे, हाथी व अन्य पुराने पत्थर से संबंधित कार्य भी हाथ में लिए जाएंगे लेकिन इससे पहले विशेषज्ञों से तकनीकी चर्चा की जाएगी। जैसे-जैसे बजट मिलेगा वैसे विकास का कार्य करेंगे, स्थानीय पंचायत से भी सहयोग के लिए कहा गया है।
इनका कहना है… जयसमंद पाल की सुंदरता बनी रहे, हाथी व अन्य पुराने पत्थर से संबंधित कार्य भी हाथ में लिए जाएंगे लेकिन इससे पहले विशेषज्ञों से तकनीकी चर्चा की जाएगी। जैसे-जैसे बजट मिलेगा वैसे विकास का कार्य करेंगे, स्थानीय पंचायत से भी सहयोग के लिए कहा गया है।
– महेन्द्र सिंह चूंडावत, क्षेत्रीय वन अधिकारी जयसमंद