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कम उम्र में फंसे अपराध के दलदल में लेकिन अब मिल रही जीवन को नई द‍िशा, इनकी कला के आप भी हो जाएंगे कायल

locationउदयपुरPublished: Mar 10, 2018 11:42:06 am

Submitted by:

madhulika singh

उदयपुर के राजकीय बाल सुधार गृह में 18 अपचारी बंद हैं। कई पर संगीन आरोप हैं, लेकिन अब उनका जीवन बदलने लगा है।

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भुवनेश पंड्या/उदयपुर . कच्ची उम्र में नासमझी के चलते अपराध में उन्हें यहां रहने की सजा मिली हो, लेकिन वे अब सबक ले चुके हैं और अपने मन में समाए एेसे कलाकार को जन्म दे चुके हैं, जो कुछ दिनों पहले तक पनपा ही नहीं पाया था। कोई अपने अंदाज में गाना गाकर दूसरों का मनोरंजन करता है, तो कोई दूसरों की हू-ब-हू तस्वीर कागज पर उतारने का महारत हासिल कर चुका है। इनके हुनर को देखकर आप भी दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर हो जाएंगे। अब ये नए जीवन के लिए बदलाव की राह पर चल पडे़ हैं।
उदयपुर ? के राजकीय बाल सुधार गृह में 18 अपचारी बंद हैं। कई पर संगीन आरोप हैं, लेकिन अब उनका जीवन बदलने लगा है। पत्रिका टीम आज इनमें से कुछ से मिली जो जल्द ही किसी एेसे मुकाम पर होंगे, जहां जीवन का दर्पण जगमग होगा।

पढ़ाने आते हैं शिक्षक
बाल आधिकारिता विभाग ने यहां कुछ एेसे शिक्षक लगाए हैं, जो बच्चों को नियमित विभिन्न विषय पढ़ा सकें, ताकि उन्हें अलग-अलग विषयों की जानकारी मिलती रहे।


चित्रकारी से जगाया भक्तिभाव
सोहन (परिवर्तित नाम ) कुछ माह से सुधार गृह में है, जब वह यहां आया था तो उसने नहीं सोचा था कि वह इतने जल्दी बदल जाएगा। उसने सुधार गृह में भगवान का एक कोना सजाया है, एेसा खूबसूरत की कोई देखे तो एकटक देखता ही रह जाए। इस कोने में सभी बालक सुबह-शाम ईश्वर का भजन करते हैं।
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गलती मानकर नई राह पर बढ़ाए कदम
मोहित (परिवर्तित नाम ) जब यहां आया तो गुस्सैल स्वभाव का था, लेकिन अब वह कभी गुस्सा नहीं करता। उसे पता चल चुका है कि उसने गलती की थी, लेकिन वह एेसा नहीं करेगा। उसने कई प्रकार की चित्रकारी की है, जो अलग-अलग विषयों पर है। उसकी एक भूलभुलैया तस्वीर बकायदा सुधार गृह में लगाई गई है।
बालकों को एेसा माहौल दिया जाता है, जिससे वे अच्छी तरह से स्वयं का विकास कर सकें, अपनी तमाम गलतियों को छोडक़र वे भविष्य में नया ताना-बाना बुन सकें।
केके चन्द्रवंशी, अधीक्षक राजकीय सम्प्रेक्षण एवं बाल सुधार गृह
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