READ MORE : उदयपुर में यहां एक के बाद एक फिसले कई वाहन, संभलने तक का नहीं मिला मौका राष्ट्र कवि बालकवि बैरागी ने अपनी काव्य रचनाओं में ‘देश में एकमात्र ऐसा पशु चेतक है जिसके स्मारक बने हैं… ’ और ‘वो कहती है मैं गीतों में चांद नहीं ला पाता हूं…’ जैसे भावों से माहौल में ताजगी जगाई। इस अवसर शायर अंजुम रहबर, हास्य कवि संजय झाला ने भी रचनाएं पढ़ीं।
READ MORE : रुचिता जैन हत्याकांड के एक साल बाद भी बच्चे नहीं भूले मां की मौत का सदमा, ऐसे गुजारा परिवार ने एक साल, पढ़ें पूरी खबर इस मौके पर टीवी एंकर एवं ख्यात कवि शैलेष लोढ़ा ने अपनी पहली रचना ‘फूलों को अपनी सुन्दरता पर गुमान हो गया… के बाद पन्ना-गोरा-बादल की कुर्बानी है मेवाड़…, जिस दिन तू शहीद हुआ, न जानें किस तरह तेरी मां सोयी होगी… और सच है कि इरादे हमारे विध्वसंक नहीं है और अकारण युद्ध के हम भी प्रशंसक नहीं है…के वाचन से कवि सम्मेलन के आयोजन को सार्थक कर दिया। उन्होंने दर्शकों की मांग पर कुछ हास्योक्तियां भी सुनाईं। इस अवसर पर समिति अध्यक्ष लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और निवृत्ति कुमारी मेवाड़, सचिव युद्धवीरसिंह शक्तावत, ब्रिगेडियर एसएस पटिल सहित कई अतिथि एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे।