उदयपुर

कार्तिक मास आरंभ, करें दीपदान से लेकर स्नान-दान

21 अक्टूबर शरद पूर्णिमा के दिन से प्रारम्भ हो गया और गौर पूर्णिमा 19 नवम्बर तक रहेगा, सबसे उत्तम और पवित्र माना गया है यह माह

उदयपुरOct 23, 2021 / 05:01 pm

madhulika singh

Significance Of Tulsi Puja In Kartik Maas Importance Of Tulsi

उदयपुर. पवित्र कार्तिक मास गुरुवार से प्रारंभ हो गया है। इस महीने में दान-पुण्य, पूजा-पाठ और नदी में स्नान करने की मान्यता है। कार्तिक मास भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का अत्यंत प्रिय माह होता है, इसलिए भगवान विष्‍णु और उनके अवतारों की पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। साथ ही भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, यम देवता, धनवंतरी, गोवर्धन, भगवान श्रीकृष्ण और चित्रगुप्त जी की पूजा की जाती है।
सूर्योदय से पहले नदी-तालाब पर करें स्नान
पं. जगदीश दिवाकर के अनुसार, इस मास में भगवान विष्णु नारायण रूप में जल में निवास करते हैं। इसलिए कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक नियमित सूर्योदय से पहले नदी या तालाब में स्नान करना दूध से स्नान का पुण्य देता है। इस महीने में पूजा, दान पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। इसी माह करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, छठ महापर्व व देवोत्थान एकादशी समेत कई पर्व हैं।
कार्तिक मास नियम-

दीपदान – धर्म शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सबसे प्रमुख काम दीपदान करना बताया गया है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
तुलसी पूजा – इस महीने में तुलसी पूजन करने तथा सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। वैसे तो हर मास में तुलसी का सेवन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है, लेकिन कार्तिक में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।
भूमि पर शयन – भूमि पर सोना कार्तिक मास का तीसरा प्रमुख काम माना गया है। भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं।
तेल लगाना वर्जित – कार्तिक महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। कार्तिक मास में अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित है।

दलहन (दालों) खाना निषेध – कार्तिक महीने में द्विदलन अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का पालन – कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।

संयम रखें – कार्तिक मास का व्रत करने वालों को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करें अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें आदि।
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