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गाय के दूध के फायदे, भैंस के दूध से आता आलस

locationउदयपुरPublished: Feb 26, 2020 11:36:29 pm

पंचगव्य से नहीं होती फूड पॉइजनिंग, गो नन्दी कृपा कथा में संत ने कहा

गाय के दूध के फायदे, भैंस के दूध से आता आलस

गाय के दूध के फायदे, भैंस के दूध से आता आलस

उदयपुर . टाउनहॉल में आयोजित गो नन्दी कृपा कथा महोत्सव के चौथे दिन संत गोपालानंद सरस्वती ने नवजात शिशु के नाम रखने को लेकर शास्त्रोक्त प्रमाण दिया। उन्होंने कहा कि नाम रखना एक संस्कार है। नाम से ही व्यापार चलता है। नाम से ही शिक्षा पूर्ण होती है। नाम से ही रिश्ता तय होता है। नाम के अनुसार ही विवाह मुहूर्त निकलता है। इसीलिए बच्चे का नाम विधि-विधान से ही रखवाना चाहिए। नाम अपनी इच्छा से कभी नहीं रखना चाहिए। जब भी नामकरण संस्कार की बारी आए सद्गुरु या विद्वान से संपर्क करना चाहिए। जहाां गो माता का गोष्ठ हो, उस स्थान पर बैठकर ही नामकरण करना चाहिए।
संत ने कहा कि अन्नप्रासन संस्कार के समय मां के दूध के अलावा जब भी बाहर की कोई चीज खिलानी हो तो शुरुआत के 7-8 दिन पंचगव्य खिलाना चाहिए। देशी गाय का दूध-दही-घी-गोबर का रस-गोमूत्र मिलाकर 7-8 दिन खिलाओ। इस प्रयोग से विषैले तत्व का प्रभाव शरीर पर कभी तुरन्त मौत नहीं होगी। जीवन में कभी फूड पॉइजनिंग जैसी समस्या नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि बच्चे को मां के दूध के अलावा प्रथम आहार के रूप में अल्प मात्रा में कुछ दिन पंचगव्य दिया जाए तो बच्चा जीवनभर अम्लपित्त जैसी कई बीमारियों से मुक्त रहता है।
मीडिया प्रभारी नीलेश भंडारी ने बताया कि रतन कुंवर पंवार, चन्द्रेश नायक, दिलीप सुराणा, दिनेश कोठारी ने आरती का लाभ लिया। आयोजन समिति के बंशीलाल कुम्हार, कैलाश राजपुरोहित, संपत माहेश्वरी, बद्रीसिंह राजपुरोहित, देवेन्द्र साहू, प्रफुल्ल श्रीमाली, ओमप्रकाश राठौड़, अजीत शर्मा, नितेश राठौड़, अभय सिसोदिया, नीतूराज सिंह मौजूद थे।
आजकल गाय कम और भैंस की संख्या ज्यादा हो गई है। इसके चलते अधिकांश बच्चों को भैंस का दूध मिल रहा है, जबकि आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का मानना है कि भैंस के दूध में वसा होती है, जो आसानी से पचती नहीं। इसके अलावा भैंस के दूध में कई और ऐसे पदार्थ है, जिनसे आलस्य बढ़ता है।

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