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#killbluewhale: बच्चों से पहले अभिभावक मोबाइल एडिक्शन से रहें दूर, बचें मोबाइलमेनिया से

locationउदयपुरPublished: Sep 17, 2017 01:24:37 pm

Submitted by:

madhulika singh

किलर या सुसाइड गेम के रूप में पहचाने जाने वाला ब्लू व्हेल गेम चैलेंज दुनियाभर के लिए खतरा बन चुका है।

blue whale rajasthan
उदयपुर . किलर या सुसाइड गेम के रूप में पहचाने जाने वाला ब्लू व्हेल गेम चैलेंज दुनियाभर के लिए खतरा बन चुका है। हर दिन इस गेम के शिकंजे में फंसकर किशोर या तो आत्महत्या की कोशिश कर रहे हैं या फिर उनकी जानें जा रही हैं। भारत में भी इसके कारण हो रहीं घटनाओं को लेकर सरकारें व हाईकोर्ट भी चिंता जता चुकी हैं और इसके प्रति अभिभावकों व बच्चों को जागरूक करने के लिए स्कूलों को निर्देशित कर रही हैं। भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और आइटी मंत्रालय ने भी गूगल, फेसबुक, वॉट्सएप, इंस्टाग्राम और याहू से इस खेल से जुड़े लिंक्स हटाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि अभिभावकों को स्वत: ही जागरूक भी होना होगा ताकि उनका बच्चा इस खूनी खेल से दूर रहे।
डिजिटल एडिक्शन की परिणीति है ये गेम
डॉ. पीसी जैन इस बारे में कहते हैं, 12 से 17 साल के बच्चों को हमने ही इस डिजिटल एडिक्शन में डाला है। जब बच्चे को दूध पिलाने, खाना खिलाने और रात को सुलाने तक के लिए इन मोबाइल गे स और कार्टून फिल्मों का सहारा लिया जाता है तो वे इसके आदि क्यों नही होंगे। फिर एक बार वो आदि हो गए तो उन्हें ये गेम रास आने लगता है और उसका अंत इन घटनाओं के रूप में होता है।

चीन और अमरीका के हज़ार बच्चों पर किए परीक्षण के अनुसार जब इस तरह के बच्चों की एआईएमआरआई की गई और इसी तरह के दूसरे कोकीन लेने वाले बच्चों की एआईएमआरआई की गई तो उनमें समानता पाई गई। अत: इस डिजिटल एडिक्शन से बचने पर ही हम इस खतरनाक ब्लू व्हेल गेम से बच सकते हंै।
मोबाइल के नहीं खुद के करीब लाएं

ब्लू व्हेल गेम के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एक शॉर्ट फिल्म बनाने वाले मुकेश माधवानी के अनुसार, आज की भागम भाग जिंदगी में हर मां-बाप अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति एवं बच्चों के भविष्य की चिंताओं को लेकर अपने बच्चों पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पाते जिसके कारण वे अपने बच्चों को खोते जा रहे हैं। वहीं, बच्चों को मोबाइल की लत से बचाने के लिए बड़ों को भी इसकी लत छोडऩी होगी क्योंकि बड़ों को देखकर ही बच्चे सीखते हैं। ऐसे में जरूरी है कि मां-बाप मोबाइलमेनिया से खुद भी दूर रहें और बच्चों को भी दूर रखें। इसके अलावा वे अपने बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखे। बच्चों के शरीर पर किसी प्रकार की चोट का निशान हो तो ध्यान दें। बच्चा अगर घर से दूर होने की कोशिश कर रहा हो या अकेला रहने की कोशिश करता है तो बच्चे पर ध्यान दें। बच्चे की शारीरिक व मानसिक गतिविधियों पे ध्यान दें और बच्चों से बराबर मेल-जोल व वार्तालाप बनाए रखें।

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