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जाने आदिवासियों के हाल

locationउदयपुरPublished: Sep 21, 2019 02:47:12 am

Submitted by:

surendra rao

(National Tribal Commission member Damor visited Kotda)
राष्ट्रीय जनजाति आयोग के सदस्य डामोर ने किया कोटड़ा का दौरा

Know the conditions of tribals

जाने आदिवासियों के हाल

उदयपुर. कोटड़ा. राष्ट्रीय जनजाति आयोग के सदस्य हरिकृष्ण डामोर ने शुक्रवार को करीब 4 गांवों का दौरा कर आदिवासियों के हाल जाने।
डामोर 3 किलोमीटर पैदल चल कर नदी-नाले पार कर चकबामणी माता गांव पहुंचे। वे वन भूमि पर काबिज परिवारों से मिले। ग्रामीणों का कहना था कि वन विभाग ने उनके दावो पर यह टिप्पणी कर दी है ककि दावेदारों का कब्जा 13 दिसम्बर, 2005 के बाद का है। जबकि दावेदार 40.50 वर्ष से वही रह कर खेती कर रहे हैं और पटवारी, वन अधिकार समिति और ग्रामसभा ने भी दावों को सही माना और अधिकार पत्र देने की अनुशंसा की है लेकिन वन विभाग का नकारात्मक रवैया रहा है। आयोग के सदस्य ने भी कहा कि कब्जा पुराना है। यदि वन विभाग यह कहता है कि कब्जा नया है तो वह साक्ष्य प्रस्तुत करे। इसके अलावा उन्होंने राशन, पेंशन, नरेगा के संबंध में भी ग्रामीणों से फीडबैक लिया।
कालीबोर बांध विस्थापितों के घरो में पहुंचे
कोटड़ा के रास्ते में आने वाले कालीबोर बांध के विस्थापित परिवारों से भी डामोर मिले। कालीबोर गांव के जेथाराम पुत्र भूता जी ने बताया कि आज से 20 साल पहले बांध बनने से इनकी जमीने डूब क्षेत्र में चली गई। तब से करीब 35 परिवार जंगल की जमीन पर काबिज है। इनमे से अधिकांश को जमीन का कोई मुआवजा भी नहीं मिला है। लगभग 12 के करीब परिवारों को वन अधिकार के तहत पट्टा मिला है। अन्य बाकी है। साथ ही उन्होंने बताया कि बांध में बारिश आने के बाद पानी आ जाता है। जिससे बच्चे स्कूल नहीं जा पाते क्योकि पूरा बांध क्षेत्र होने से घूम कर जाना पड़ता है।
ठेकेदार की शिकायत
पिपला गांव में ग्रामीणों ने सौभाग्य योजना के तहत लगाई गई सोलर लाइट के संबंध में ठेकेदार की शिकायत की। ग्रामीणों का कहना था कि करीब एक माह पूर्व 11 घरो में ठेकेदार की ओर से सोलर लाइट लगाई गई परन्तु यह कहकर करीब 15 दिन पूर्व हटा दी कि उनके खम्भे वाली लाइट लगेगी और वे सोलर लाइट गांव के ही अन्य घरो में 1000 रु
देकर लगा दी। इस मामले को लेकर आयोग सदस्य डामोर ने जिला कलक्टर को अवगत करवाने की बात कही।
इसके अलावा आदिवासी विकास मंच के सदस्यों ने बताया कि फलवारी की नाल वन्यजीव अभ्यारण्य में 22 सामुदायिक वन अधिकार के दावे तैयार कर उपखण्ड अधिकारी को जमा करवाए गए परन्तु वन विभाग की ओर से वन्यजीव अभ्यारण्य में होने से अधिकार पत्र नहीं देने की अनुशंसा की है, जो की कानून की भावना के विपरीत है।
दावे से भी कम जमीन मिली
जुनापादर गांव के ग्रामीणों ने डामोर से मुलाकात की और बताया कि 13 परिवार जो वन भूमि पर काबिज थे उनमें से 8 को अधिकार पत्र मिला है। परन्तु जमीन दावे से कम मिली है। उनका कहना था कि वे भूमिहीन है। उनके पास इस जमीन के अलावा कोई आजीविका का साधन नहीं है। मौके पर 10.12 बीघा जमीन है, जबकि पट्टे में मात्र 0.2- 0.4 हैक्टेयर जमीन लिखी है, जबकि उन्हें बकाया जमीन का भी अधिकार मिलना चाहिए।
अधिकारियों को दिए निर्देश
आयोग सदस्य हरिकृष्ण डामोर ने विकास अधिकारी धनपतसिंह राव और तहसीलदार भाणाराम मीणा के साथ कोटड़ा की समस्याओं पर चर्चा की। उन्होंने नरेगा में सभी को काम पूरा दाम दिलवाने, वन अधिकार के मामलों को सकारात्मकता के साथ जल्द से जल्द निपटाने और सरकार की योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक ले जाने के निर्देश दिए।
इस दौरान इनके साथ राजस्थान आदिवासी अधिकार मंच के संयोजक धरमचंद खैर, आदिवासी विकास मंच के समन्वयक सरफराज शेख, चंदूराम गरासिया, रमेश गरासिया, होनाराम गमेती, रमेश गमार भी साथ रहे।
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