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क्या आप इस पुलिस वाले को जानते हैं, कहीं आपकी शादी में भी वेटर बनकर आया हो

locationउदयपुरPublished: Jan 21, 2019 01:45:29 am

Submitted by:

Pankaj

इस मासूम चेहरे के पीछे छीपी है जी तोड़ मेहनत करने वाला इंसान, किताबें खरीदने के लिए मजदूरी की, अब मिलेगा पुलिस सेवा सम्मान, आदिवासी अंचल का कांस्टेबल होगा सम्मानित

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क्या आप इस पुलिस वाले को जानते हैं, कहीं आपकी शादी में भी वेटर बनकर आया हो

मोईन अब्बासी. कोटड़ा . संसाधनों की कमी और शिक्षा का अभाव होने के बावजूद प्रतिभाएं छिपती नहीं है। यही नहीं, प्रतिभाएं देर सवेर मौका मिलने पर खुद को बेहतर साबित भी कर देती है। ऐसा ही कुछ है आदिवासी बाहुल्य कोटड़ा में बड़ली ग्राम पंचायत के गऊपीपला निवासी कांस्टेबल लक्ष्मीलाल पारगी की दास्तान।
पिण्डवाड़ा थाने में बतौर कांस्टेबल कार्यरत पारगी पुलिस सेवा में सराहनीय कार्य के लिए आगामी 26 जनवरी को एक टीवी समूह की ओर से आयोजित समारोह में सम्मानित होंगे। लक्ष्मीलाल की अहम भूमिका उस हार्डकोर अपराधी को पकडऩे में रही, जिसके खिलाफ 17 साल से सिरोही, जालौर, बाड़मेर, पाली जिलों में चोरी, लूट, नकबजनी, जानलेवा हमले, आम्र्स एक्ट के तहत 33 मामले दर्ज हैं। यह अपराधी वर्ष 2004 में जिला कारागृह सिरोही से फरार हो गया था। पुलिस ने कई बार पकडऩे का प्रयास किया, लेकिन नाकाम रही। फिर अपराधी को पकडऩे में लक्ष्मीलाल की अहम भूमिका रही।
निर्धन परिवार से निकले
पुलिस कांस्टेबल पद हासिल करने वाले लक्ष्मीलाल का जन्म निर्धन आदिवासी परिवार में हुआ। प्राथमिक शिक्षा गांव के शिक्षाकर्मी प्राथमिक विद्यालय और फिर कोटड़ा के सरकारी विद्यालय में हुई। आठवीं कक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने से इनका चयन आगे की पढ़ाई के लिए राजकीय जनजाति प्रतिभावान छात्रावास में हो गया। लक्ष्मीलाल के पास 10वीं की किताबें खरीदने के लिए भी रुपए नहीं थे। आर्थिक समस्या के कारण पिता ने पढ़ाई छोडऩे को कह दिया। जुनून के पक्के लक्ष्मीलाल ने पढ़ाई अपने दम पर जारी रखी। रुपए का इंतजाम करने के लिए गुजरात में मजदूरी करने के लिए चल दिए। यहां 9 दिन तक खड्डे खोदने, खेतों में खाद डालने का काम कर 1700 रुपए जमा किए और फिर 10वीं की किताबें खरीदी। दसवीं उत्तीर्ण कर उदयपुर के फतह स्कूल में राजकीय अंबेडकर छात्रावास में रहकर सीनियर तक की पढ़ाई की। शहर में रहने, गुजारा करने के साथ पढ़ाई का खर्च जुटाना बड़ी चुनौती थी। लक्ष्मीलाल ने दिन में कॉलेज की पढ़ाई करते, रात को शादी समारोह में वेटर का काम किया। कभी-कभी ट्रकों में सामान लादने की मजदूरी भी की। ऐसे हालातों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की।
घर की जिम्मेदारी भी संभाली
स्नातकोत्तर पढ़ाई के बाद लक्ष्मीलाल दोराहे पर थे। एक तरफ घर की जिम्मेदारी और दूसरी तरफ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी। इन्होंने घर की जिम्मेदारी संभाली। कोटड़ा आकर विद्यार्थी मित्र के रूप में बिकरनी ग्राम पंचायत के सरकारी विद्यालय में काम किया। साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते रहे। इसका प्रतिफल मिला और 2011 में इनका चयन सिरोही जिले से कांस्टेबल के पद पर हुआ।
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