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मामला दर्ज करवाने भटका प्रार्थी
परथा के पुत्रों ने बताया कि मामला उजागर होने के बाद वे संबंधित थानों में और पंचायत में भटकते रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पुलिस अधीक्षक को परिवाद देने के बाद उनका मामला थाने में दर्ज हुआ। इस बीच नाना ने परथा के पुत्रों के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया है।
मामला दर्ज करवाने भटका प्रार्थी
परथा के पुत्रों ने बताया कि मामला उजागर होने के बाद वे संबंधित थानों में और पंचायत में भटकते रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पुलिस अधीक्षक को परिवाद देने के बाद उनका मामला थाने में दर्ज हुआ। इस बीच नाना ने परथा के पुत्रों के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया है।
हो सकता है बड़े भू-माफियाओं का हाथ
परथा की करीब दस बीघा भूमि उमरड़ा मुख्य मार्ग पर है जिसकी कीमत बढ़ गई है। इसको हथियाने के लिए हो सकता है कि किसी बड़े भू-माफिया ने यह फर्जीवाड़ा करवाया हो। पुत्रों ने बताया कि उनके पिता की अन्य जगह भी जमीने हैं, हो सकता है उन पर भी लोगों ने कब्जा कर लिया हो।
परथा की करीब दस बीघा भूमि उमरड़ा मुख्य मार्ग पर है जिसकी कीमत बढ़ गई है। इसको हथियाने के लिए हो सकता है कि किसी बड़े भू-माफिया ने यह फर्जीवाड़ा करवाया हो। पुत्रों ने बताया कि उनके पिता की अन्य जगह भी जमीने हैं, हो सकता है उन पर भी लोगों ने कब्जा कर लिया हो।
पढ़े-लिखे नहीं है पुत्र
परथा के चार पुत्र हैं जिनमें तीन भाई और एक बहन है। सभी पढ़े-लिखे नहीं है। ऐसे में इन्हें दस्तावेजों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। साथ ही इनके पिता की जमीन भी टुकड़ों में अलग-अलग जगह है। पुत्रों ने बताया कि उनके पिता की करीब 50 से 60 बीघा जमीन है। कुछ के बारे में तो उन्हें जानकारी है, लेकिन कुछ जमीनों के दस्तावेज जुटाने में भी उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
परथा के चार पुत्र हैं जिनमें तीन भाई और एक बहन है। सभी पढ़े-लिखे नहीं है। ऐसे में इन्हें दस्तावेजों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। साथ ही इनके पिता की जमीन भी टुकड़ों में अलग-अलग जगह है। पुत्रों ने बताया कि उनके पिता की करीब 50 से 60 बीघा जमीन है। कुछ के बारे में तो उन्हें जानकारी है, लेकिन कुछ जमीनों के दस्तावेज जुटाने में भी उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे किया फर्जीवाड़ा
परथा की मृत्यु के 14 वर्ष के बाद 29 मार्च, 2010 को तत्कालीन सरपंच से मिलीभगत कर पंचायत के लेटर पेड पर नाना को परथा बताते हुए प्रमाण-पत्र भी जारी किया गया। नाना ने फर्जी तरीके से परथा उर्फ नाना के नाम से राशन कार्ड बनाया। इसके बाद राशन कार्ड के आधार पर तहसील कार्यालय से मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र भी बनवाए। इन दस्तावेजों का दावा बनाकर कोर्ट से नाना ने फर्जी डिक्री भी जारी करवा ली। इसकी जानकारी परथा के बच्चों को लगने पर उन्होंने एसडीएम कार्यालय में शिकायत की। तत्कालीन एसडीएम ने विकास अधिकारी से राशन कार्ड के बारे में जानकारी ली तो वह फर्जी निकला।