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जमीन हड़पने के लिए किया खेल…और 14 वर्ष बाद जी उठा परथा, पढ़िए यह रौचक खबर…

locationउदयपुरPublished: Dec 16, 2018 02:37:35 pm

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धीरेन्द्र जोशी/उदयपुर. आज से करीब 22 वर्ष पूर्व 1994 में उमरड़ा निवासी एक बुजुर्ग की मृत्यु हो गई। इसके कुछ वर्ष के बाद ही परिजनों ने उनका मृत्यु प्रमाण-पत्र भी बनवा लिया, लेकिन अचानक वर्ष 2010 में वह फिर जी उठे और उनकी जमीन पर अपना अधिकार जमाने के लिए भीतरखाने उनके नाम से फर्जी दस्तावेज भी तैयार करवा लिए गए। जिले के आला अधिकारियों की ओर से सभी फर्जी दस्तावेज निरस्त करने के बावजूद परिवार अपनी जमीन लेने के लिए भटक रहा है। यह कहानी है उमरड़ा निवासी परथा पुत्र किशना मीणा के परिवार की। परथा के पुत्र कुका राम ने बताया कि उनके पिता बुजुर्ग परथा की मृत्यु 19 अगस्त 1994 को हुई थी। इसके बाद परिवार ने 1998 में उनका मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनवाया। उनके पिता की जमीन अलग-अलग जगह है। 2010 में उन्हें पता चला कि उनकी जमीन को एक अन्य व्यक्ति अपनी बता रहा है। ऐसे में उन्होंने पंचायत से दस्तावेज एकत्रित किए तो सामने आया कि जो व्यक्ति जमीन को अपने नाम करवा रहा है, वह फर्जी है। ऐसे में वर्ष 2017 में जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में अपील की। इस पर कमेटी बैठी और उसने 29 मई 2018 को परथा के पुत्र कूका के पक्ष में निर्णय देते हुए परथा उर्फ नाना के राशन कार्ड को फर्जी बताया गया। उसे निरस्त करते हुए इस राशन कार्ड के आधार पर बनाए गए सभी दस्तावेजों जिनमें मूल निवास, जाति प्रमाण-पत्र आदि को वैध नहीं माना गया। इसके बाद नाना ने अजमेर स्थित रेवेन्यू कोर्ट में अपील की, लेकिन वहां से भी निगरानी खारिज करते हुए फाइल पुन: आरएए कोर्ट में भिजवा दी।
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मामला दर्ज करवाने भटका प्रार्थी
परथा के पुत्रों ने बताया कि मामला उजागर होने के बाद वे संबंधित थानों में और पंचायत में भटकते रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पुलिस अधीक्षक को परिवाद देने के बाद उनका मामला थाने में दर्ज हुआ। इस बीच नाना ने परथा के पुत्रों के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया है।
हो सकता है बड़े भू-माफियाओं का हाथ
परथा की करीब दस बीघा भूमि उमरड़ा मुख्य मार्ग पर है जिसकी कीमत बढ़ गई है। इसको हथियाने के लिए हो सकता है कि किसी बड़े भू-माफिया ने यह फर्जीवाड़ा करवाया हो। पुत्रों ने बताया कि उनके पिता की अन्य जगह भी जमीने हैं, हो सकता है उन पर भी लोगों ने कब्जा कर लिया हो।
पढ़े-लिखे नहीं है पुत्र
परथा के चार पुत्र हैं जिनमें तीन भाई और एक बहन है। सभी पढ़े-लिखे नहीं है। ऐसे में इन्हें दस्तावेजों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। साथ ही इनके पिता की जमीन भी टुकड़ों में अलग-अलग जगह है। पुत्रों ने बताया कि उनके पिता की करीब 50 से 60 बीघा जमीन है। कुछ के बारे में तो उन्हें जानकारी है, लेकिन कुछ जमीनों के दस्तावेज जुटाने में भी उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

ऐसे किया फर्जीवाड़ा
परथा की मृत्यु के 14 वर्ष के बाद 29 मार्च, 2010 को तत्कालीन सरपंच से मिलीभगत कर पंचायत के लेटर पेड पर नाना को परथा बताते हुए प्रमाण-पत्र भी जारी किया गया। नाना ने फर्जी तरीके से परथा उर्फ नाना के नाम से राशन कार्ड बनाया। इसके बाद राशन कार्ड के आधार पर तहसील कार्यालय से मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र भी बनवाए। इन दस्तावेजों का दावा बनाकर कोर्ट से नाना ने फर्जी डिक्री भी जारी करवा ली। इसकी जानकारी परथा के बच्चों को लगने पर उन्होंने एसडीएम कार्यालय में शिकायत की। तत्कालीन एसडीएम ने विकास अधिकारी से राशन कार्ड के बारे में जानकारी ली तो वह फर्जी निकला।
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