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साधुओं ने उसके साथ किया कुकृत्य, फिर उसके नाजूक अंगों को कर दिया निष्क्रिय, जानें पूरी कहानी

locationउदयपुरPublished: Jan 13, 2019 02:22:52 pm

– नाजुक अंगों को पहुंचाया नुकसान

मोहम्मद इलियास/उदयपुर . जिले के एक छोटे गांव से चार वर्ष पूर्व ट्रेन में बैठकर गायब हुआ 7 साल का कालू (परिवर्तित नाम) बाबाओं के चंगुल में फंसकर कालू बाबा बन गया। अलग-अलग जगह घूमते हुए जब वह 11 वर्ष की उम्र में उदयपुर लौटा तो उसकी हकीकत सुन सबके रोंगटे खड़े हो गए। मासूम ने रोते हुए बताया कि बाबाओं ने देश के अलग-अलग जगह पर उसके साथ न केवल कुकृत्य किया बल्कि अपनी बिरादरी से जोडऩे के लिए नाजुक अंगों को बेरहमी से निष्क्रिय तक कर दिया।
मूलत: उदयपुर जिले का रहने वाला कालू अभी बाल कल्याण समिति के आदेश से आसरा विकास संस्थान में है। उसके मां-बाप के राजसमंद जिले में होने पर उन्हें तलाशा जा रहा है। मासूम कालू की जिंदगी को नारकीय बनाने का यह क्रम चार वर्ष पूर्व उस समय शुरू हुआ, जब वह गांव के कतिपय लोगों से डांट-फटकार पर रेल में बैठ कर मारवाड़ जंक्शन पहुंच गया। वहां किसी होटल में काम करते समय तथाकथित दो बाबा उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गए। उन्होंने मारवाड़ जंक्शन, हरियाणा, उत्तरप्रदेश सहित कई जगह ले जाकर उसका शोषण किया। एक जगह तो उन्होंने बच्चे के नाजुक अंग को ऐसी चोट पहुंचाई कि वह नाकारा हो गया। आरोपी बाबाओं ने मासूम पर जुल्म ढाने के बाद उसे गुजरात में एक धार्मिक स्थल पर एक अन्य बाबा को सौंप दिया। इस बाबा ने प्यार-दुलार देते हुए उसका इलाज करवाया जिससे वह उसका मुरीद बन गया। उसने बच्चे के बारे में न तो पुलिस को सूचना दी और ना ही उसने कभी बच्चे को मां-बाप से मिलाने का प्रयास किया।

मौका पाकर भाग निकला

गुजरात में पल-बढ़ रहा यह मासूम पिछले दिनों बाबा के देशाटन पर जाने के दौरान अकेला पड़ गया। वह वहां से आबूरोड होते हुए रेलगाड़ी में बैठकर फिर मारवाड़ जंक्शन पहुंच गया। रेलवे पुलिस ने बालक पर नजर पडऩे उसे कस्टडी में लेते हुए बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया। समिति ने मामला उदयपुर का होने पर उसे यहां रेफर कर दिया।

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बदली भाषा, बोला मिले सजा

चार साल तक बाबाओं के साथ अलग-अलग जगह पर घूमने से उसे कई धार्मिक स्थलों का भी ज्ञान हो गया है। आदिवासी बहुल इलाके का होने के बावजूद उसकी भाषा पूरी तरह से बदल गई है। वह रोते हुए कुकत्य करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग रहा है। उसका कहना है कि मारवाड़ जंक्शन पर उसे उठाने वाले बाबा अलग-अलग रेलवे स्टेशन पर घूमते हुए इसी तरह बच्चों को पकड़ते रहते हैं।

सीडब्ल्यूसी के आदेश पर जब बच्चा आश्रय स्थल पर पहुंचा तो वह काफी डरा हुआ था। काउंसलिंग के दौरान वह पहले गुजरात के बाबा के पास जाने की जिद कर रहा था लेकिन अब मां-बाप से मिलने की इच्छा जताई है। मां-बाप का पता लगाया जा रहा है। – भोजराजसिंह पदमपुरा, संस्थापक, आसरा विकास संस्था
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