हेमन्त गगन आमेटा/उदयपुर.. जिले के ग्रामीण अंचलों में इन दिनों जलाशयों पर मेहमान परिंदो का जमावड़ा कई पक्षी प्रेमियों को लुभा रहा है। इसमें से एक भटेवर का आमलिया तालाब पर हवासील पेलीकन के बाद अब ग्रेटर फ्लेमिंगो का बड़ा समूह नर मादाओं के साथ तालाब के बेक वाटर एरिया में देखा गया है। आमलिया तालाब पर ग्रेटर फ्लेमिंगो की एक टांग पर खड़े रहना व फ़ूड शेयर करने की अदा के साथ लाल टांगे, लाल चोंच से अठखेलियां पक्षी प्रेमियों एवं ग्रामीणों को लुभा रही है। जिससे कई पक्षी प्रेमियों ने तालाब के बेक वाटर में जाकर इस खूबसूरत पक्षी की अठखेलियों को निहारा और अपने कैमरों में कैद किया। यहां पाया जाता है ग्रेटर फ्लेमिंगो: लंबी गर्दन, लाल टांगे, चोंच वाले इस खूबसूरत पक्षी को राजहंस भी कहा जाता है राजहंस परिवार की सबसे व्यापक और सबसे बड़ी प्रजाति है। यह अफ्रीका में, भारतीय उपमहाद्वीप पर , मध्य पूर्व में और दक्षिणी यूरोप में पाया जाता है । ग्रेटर फ्लेमिंगो का मूल ठिकाना यूं तो अफ्रीका, यूरोपीय देश के साथ ही दक्षिण एशिया में है, लेकिन सर्दियों में भारत के कुछ भागों से अन्य स्थानों पर प्रवास करता है। इस पक्षी की खासियत यह है कि एक टांग पर करीब 3 से 4 घंटे तक खड़े रह सकता है। इसी मुद्रा में यह नींद भी ले सकता है। इस पक्षी की भव्यता तब दिखती है जब यह उड़ान भरता है। अपने लंबे पंखों को विस्तार देकर यह 2-3 बार पंख फड़फड़ाकर उड़ान भरता है। इनकी सबसे खूबसूरत अदा होती है जब यह अपनी लंबी गर्दन घुमाकर एक दूसरे के साथ फूड शेयरिंग करते हैं। तब दोनों की गर्दन मिलकर घुमाव से दिल का आकार ले लेती है जो की कई पक्षी प्रेमियों को आकर्षित करती है। ग्रेटर फ्लेमिंगो की यह सबसे बड़ी खासियत: इस पक्षी की भव्यता तब प्रतीत होती है जब यह उडता है, इसके पंखो के दीर्घ विस्तार और लम्बे पैरो की मदद से यह पक्षी बडे ही कम समय में मात्र 2-3 बार पंख फडफडा कर फ्लाइट भरता है जो की देखने लायक होती है। इन पक्षियों का आकार करीब 120 से 130 सेमी है। भारत में इसकी दो प्रजाति ग्रेटर और लेसर फ्लेमिंगो है जो की गुजरात, सिवरी तथा मुंबई की खाड़ी में हजारों की तादाद में पाए जाते है । फ्लेमिंगो शांतिप्रिय और प्रदूषण रहित वातावरण में रहना ज्यादा पसंद करते हैं ये थुलथुले पानी में रहता है चोंच पानी में निरंतर घुमती रहती है। इनकी चोंच विशेष तौर से मुड़ी रहती है जो पानी से फ़िल्टर कर विशेष प्रकार के शैवाल एव जीवो का सेवन करते है। पक्षी खारे पानी के साथ कीचड़ और उथले तटीय लैगून में रहता है। अपने पैरों का उपयोग करते हुए, पक्षी कीचड़ को ऊपर उठाता है, फिर अपने बिल के माध्यम से पानी चूसता है और छोटे चिंराट , बीज, नीले-हरे शैवाल , सूक्ष्म जीवों और मोलस्क को छानता है । अधिक से अधिक राजहंस अपने सिर के साथ फ़ीड करता है, और इसका ऊपरी जबड़ा जंगम होता है और इसकी खोपड़ी पर कठोरता से स्थिर नहीं होता है।
Home / Udaipur / ग्रेटर फ्लेमिंगो राजहंस को रास आई यहां की धरा, तालाब पर फ्लेमिंगो का दिखा बड़ा समूह