– माइंस वक्र्स व विजिटर्स के लिए पीपीई का उपयोग नहीं होता।
– किसी भी माइंस की सीमा पर बाउण्ड्री पिल्लर्स नहीं दिखाई देते।
– बेंच मार्क के माध्यम से कहीं भी लेवल बेंच मार्क का उपयोग नहीं।
– माइनिंग पिट्स के लिए किसी तरह की बेंचिंग की व्यवस्था नहीं।
– माइनिंग क्षेत्र में उडऩे वाली धूल को रोकने के लिए कभी भी पानी का छिड़काव नहीं होता।
– स्थानीय क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण एवं माइंस इलाकों में बने आवास में रहने वाले परिवार एवं बच्चे उड़ती धूल से दमे के संभावित रोगी बन रहे हैं।
– मजदूरों के लिए हेलमेट, मास्क, माइनिंग शूज, रिफ्लेक्टर स्ट्रीफ जैकेट की अनिवार्यता लागू नहीं है।
– खनन पट्टों की सीमा के निर्धारित भू-भाग में पेड़-पौधों का अस्तित्व नहीं है।
– खनन कार्य में लागू बेंच नुमा खुदाई का क्रम दिखाई नहीं देता।
– माइंस इलाकों के बीच में आने वाली सरकारी जमीनों पर खुदाई चालू है।
– माइंस इलाकों में मनमर्जी से आवास बना दिए गए।
– साढ़े 4 इंच की ब्लास्टिंग धड़ल्ले से हो रही है। माइनिंग ब्लास्टिंग को लेकर किसी स्तर पर अनुमति नहीं ली जा रही।
– ओवर वर्डन माइनिंग क्षेत्र भी चिन्हित किया हुआ नहीं है।
दिखने वाली खामियों को लेकर विभाग स्तर पर कार्रवाई की जाती है। कोई ऐसा मामला है तो दिखवा लेंगे।
एस.पी. शर्मा, माइनिंग इंजीनियर, खनन विभाग