scriptजोखिम में जिंदगियां, कायदे ही भूले | Life at risk, forgot laws | Patrika News

जोखिम में जिंदगियां, कायदे ही भूले

locationउदयपुरPublished: Mar 24, 2019 11:26:04 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

ईसवाल क्षेत्र में मैसेनरी माइंसों में लागू नहीं सुरक्षा कायदे, नाम के लिए बनी पुलिस चौकी

udaipur

जोखिम में जिंदगियां, कायदे ही भूले

उदयपुर. खनन एवं भू विज्ञान विभाग के प्रदेश मुख्यालय वाले उदयपुर जिले के समीपवर्ती ईसवाल में खनन के नाम पर लोगों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ का खेल बदस्तूर जारी है। मजदूर, वाहन चालकों, जेसीबी एवं अन्य मशीनरी संचालकों की जिंदगी को संकट में डाला जा रहा है। इतना ही नहीं खनन से जुड़े सभी कायदों को दरकिनार किया हुआ है। आंखों से दिखते हुई खामियों को लेकर जहां प्रदेश स्तर के हुक्मरान मौन साधे हुए हैं। वहीं स्थानीय पुलिस चौकी भी माइंसों से निकलने वाले ओवरलोडेड वाहनों के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर चुप्पी साधे हुए है। यही कारण है कि बीते सालों में चौकी पुलिस की ओर से खनन में सक्रिय डंपर व ट्रकों के खिलाफ कभी भी ओवरलोड जैसी गतिविधियों को लेकर चालानों की संख्या नगण्य है। ओवरलोड लदान वाहनों को लेकर टोल संचालकों की चुप्पी भी सड़क पर चलने वाली जिंदगियों के लिए चुनौती बनी हुई है। परिवहन विभाग तो टोल पर्चियों के हिसाब से ऐसे वाहनों को नोटिस भेजने के अलावा मौका कार्रवाई को लेकर अब तक ‘कुंभकर्णी नींदÓ से नहीं जागा है। गौरतलब है कि क्षेत्र में करीब २५ से ३० मैसेनरी माइंस के नाम पर अनुज्ञप्ति धारक हैं। इन माइंसों से प्रतिदिन हजारों टन गिट्टी एवं पत्थरों की सप्लाई होती है।
सिरे से भूले नियम
– माइंस वक्र्स व विजिटर्स के लिए पीपीई का उपयोग नहीं होता।
– किसी भी माइंस की सीमा पर बाउण्ड्री पिल्लर्स नहीं दिखाई देते।
– बेंच मार्क के माध्यम से कहीं भी लेवल बेंच मार्क का उपयोग नहीं।
– माइनिंग पिट्स के लिए किसी तरह की बेंचिंग की व्यवस्था नहीं।
– माइनिंग क्षेत्र में उडऩे वाली धूल को रोकने के लिए कभी भी पानी का छिड़काव नहीं होता।
– स्थानीय क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण एवं माइंस इलाकों में बने आवास में रहने वाले परिवार एवं बच्चे उड़ती धूल से दमे के संभावित रोगी बन रहे हैं।
– मजदूरों के लिए हेलमेट, मास्क, माइनिंग शूज, रिफ्लेक्टर स्ट्रीफ जैकेट की अनिवार्यता लागू नहीं है।
– खनन पट्टों की सीमा के निर्धारित भू-भाग में पेड़-पौधों का अस्तित्व नहीं है।
– खनन कार्य में लागू बेंच नुमा खुदाई का क्रम दिखाई नहीं देता।
– माइंस इलाकों के बीच में आने वाली सरकारी जमीनों पर खुदाई चालू है।
– माइंस इलाकों में मनमर्जी से आवास बना दिए गए।
– साढ़े 4 इंच की ब्लास्टिंग धड़ल्ले से हो रही है। माइनिंग ब्लास्टिंग को लेकर किसी स्तर पर अनुमति नहीं ली जा रही।
– ओवर वर्डन माइनिंग क्षेत्र भी चिन्हित किया हुआ नहीं है।
करते हैं कार्रवाई
दिखने वाली खामियों को लेकर विभाग स्तर पर कार्रवाई की जाती है। कोई ऐसा मामला है तो दिखवा लेंगे।
एस.पी. शर्मा, माइनिंग इंजीनियर, खनन विभाग

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो