script

सत्य और धर्म के मार्ग पर चलकर ही जीवन श्रेष्ठ बनता है : प्रो सारंगदेवोत

locationउदयपुरPublished: Feb 28, 2021 08:03:16 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

– महाकवि माघ के काव्यों में सामाजिक चेतना पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

सत्य और धर्म के मार्ग पर चलकर ही जीवन श्रेष्ठ बनता है : प्रो सारंगदेवोत

सत्य और धर्म के मार्ग पर चलकर ही जीवन श्रेष्ठ बनता है : प्रो सारंगदेवोत

भुवनेश पंड्या
उदयपुर. जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड. टू. बी.विश्वविद्यालय के संघटक साहित्य संस्थान, विश्व संस्कृत प्रतिष्ठान, जयपुर राज के संयुक्त तत्वावधान में महाकवि माघ जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। ‘महाकवि माघ के काव्यों में सामाजिक चेतनाÓ विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. कर्नल एस एस सारंगदेवोत ने कहा कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां क्यों न हो, यदि व्यक्ति चाहे तो हर बाधाओं को दूर कर सकता है। हर पल खुद को सन्मार्ग पर ले जा सकता है। जीवन की नई शुरुआत करने के लिए किसी विशेष समय की आवश्यकता नहीं होती बल्कि इसके लिए हमें सत्य और धर्म का मार्ग अपनाने की जरूरत है। उन्होने कहा कि इनकी मात्र एक कृति शिशुपालवध है। इस महाकाव्य की रचना 20 सर्गों में है, जिसमें लगभग 1650 श्लोक है। मुख्य अतिथि संस्कृत अकादमी, दिल्ली के सचिव डॉ. अरुण कुमार झा ने कहा कि महाकवि माघ बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। सारस्वत अतिथि प्रो अर्कनाथ चौधरी, निदेशक, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रमोद वैष्णव, सह आचार्य निदेशक प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, डॉ. कुल शेखर व्यास, डॉ. महेश आमेटा, डॉ. कृष्णपाल सिंह, रीना मेनारिया ने भी विचार व्यक्त किए।

ट्रेंडिंग वीडियो