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ब्रिटेन की तरह भारत में भी कॉरपोरेट जगत आगे आए, अभी दवा तैयार होने में समय लगेगा: डॉ.पुरोहित

locationउदयपुरPublished: Mar 27, 2020 12:11:33 pm

Submitted by:

bhuvanesh pandya

माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ प्रशान्त पुरोहित से विशेष बातचीत- एक्सपर्ट व्यू
 

ब्रिटेन की तरह भारत में भी कॉरपोरेट जगत आगे आए, अभी दवा तैयार होने में समय लगेगा: डॉ.पुरोहित

ब्रिटेन की तरह भारत में भी कॉरपोरेट जगत आगे आए, अभी दवा तैयार होने में समय लगेगा: डॉ.पुरोहित

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. भारतीय मूल के ब्रिटेन के सटन इन एशफ ील्ड के किंग्स मिल हॉस्पिटल के माइक्रोबायॉलोजिस्ट डॉ. प्रशान्त पुरोहित का कहना है कि यूके की तरह भारत में भी कॉरपोरेट घरानों को इस महामारी के नियंत्रण के लिए आगे आना चाहिए, क्योंकि अभी इसकी दवा पूरी तरह से तैयार होने में समय लगेगा। डॉ. प्रशान्त ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कोरोना वाइरस को लेकर कई बारिकियां बताई। उन्होंने यूके में किस तरह वाइरस पर नियंत्रण का प्रयास किया जा रहा है और भारत को क्या करना चाहिए इस पर विस्तार से चर्चा की।

वाइरस के बाहरी हिस्से पर होती है मेम्मरिनडॉ पुरोहित ने बताया कि कोविड-19 के वाइरस के बाहरी हिस्से पर झिल्ली होती है, जिसे एन्वेलोप कहते हैं। यह जो प्रोटीन व वसा से बनी हुई होती है, ऐसे में ये केवल ख़ाली पानी से हाथ धोने से नहीं जाती इसे हाथों से साफ करने के लिए पानी के साथ साबुन या फि र अगर हाथ किसी पदार्थ से सने न हों, तो सेनेटाइजर का उपयोग करना होता है। खास बात ये कि सेनेटाइजर में अल्कोहोल होता है। यदि कोई हाथ साफ करने के लिए एल्कोहल या स्प्रिट का भी उपयोग कर सकता है। इससे ये वाइरस जल्दी साफ हो जाता है। इसका कारण है कि एल्कोहल वाइरस के एन्वेलोप को नष्ट कर देता है। उन्होंने बताया कि हैंड सेनेटाइजर ऐसा होना चाहिए जिसमें एल्कोहल की मात्रा 60 से 80 प्रतिशत हो, यदि इससे अधिक होता है तो ये काम नहीं करेगा क्योंकि सोल्यूशन तैयार करने के लिए पानी भी जरूरी है। अगर इससे कम हो तो भी काम नहीं करेगा क्योंकि वाइरस को नष्ट करने के लिए अल्कोहोल का इस सांद्रता में होना आवश्यक है। अत: बेहतर है कि घर पर इसे बनाने की कोशिश करने की बजाय इसकी सांद्रता लेबल पर चेक करके खऱीदा जाए।
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यूके में मॉल्स बुक कर रहे ऑनलाइन सामग्रीडॉ पुरोहित: यूके में यदि किसी को शॉपिंग मॉल्स से कोई भी सामग्री खरीदनी होती है, तो उसे वहां जाने की जरूरत तत्काल नहीं है, वह पहले किसी भी सामान को लिखवाकर ऑनलाइन बुकिंग करवा देगा, इसके बाद उसका सामान माल्स के बाहर ही उसे दिए गए नम्बर्स के लॉकर्स में मिलेगा,उसे इसके लिए माल्स प्रबंधन की ओर से समय दे दिया जाता है, तब जाकर वह बगैर किसी भीड़ भडक्के के वहां से सामान ला सकेगा।

चार दवा पाइप लाइन मेंफि लहाल यूके में चार दवाइयां कोरोना से लडऩे के लिए तैयार की जा रही है, इन पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध चल रहा है। ये शोध फि लहाल अपने अंतिम चरण तक नहीं पहुंचा। यदि कोई ज्यादा ही बीमार है तो उसके उपचार के लिए ये दवाएं दी जा रही है, लेकिन सभी को ये उपलब्ध नहीं है, अन्य मरीजों को तो लक्षणों के आधार पर ही दवा दी जा रही है। भारत में कुछ दवाओं के नाम सार्वजनिक कर दिए गए है जो गलत है, क्योंकि कई लोगों ने तो अभी से इन दवाओं को स्टोर करना शुरू कर दिया है, हालांकि दवाओं को लेकर प्रतिदिन नए शोध किए जा रहे हैं।

कई चिकित्सक संक्रमितयूके में भी भारत की तरह ही कई चिकित्सक संक्रमित हुए हैं तो एक की मौत भी हो गई है। बुजुर्गो को घर से नहीं निकलने की सलाह दी गई है, प्रत्येक वार्ड में मोहल्ला समितियों का गठन किया गया है, वहां जो स्ट्रीट लीडर्स है वह अकेले रहने वाले बुजुर्गों की मदद भी कर रहे हैं।
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कोरोना से लडऩे सरकार की तैयारी जोरो परकोरोना की इस महामारी से लडऩे की लिए ब्रिटेन की सरकार काफ ी तैयारी में जुटी है, हजारो वेंटिलेटर, स्वाब टेस्ट किट, पीपीई किट के ऑर्डर्स दिए जा रहे हैं, स्वास्थ्य पर सरकार ने मोटा खर्च करने का निर्णय लिया है।
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ये लॉक डाउन नहीं ओपन अप हैभारत में विवि और स्कूलों के हॉस्टल बंद करने का निर्णय सोचनीय है, क्योंकि वहां रहने वाले विद्यार्थी खुले में घूम रहे हैं, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर आ जा रहे हैं ऐसे में बड़ी समस्या हो सकती है, हालांकि इसमें अब देरी हो चुकी है। अगर बच्चों को हॉस्टल में ही रहने दिया जाता तो बेहतर होता, पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर भीड़ नहीं लगती, और अगर कोई विद्यार्थी हॉस्टल में बीमार भी पड़ जाता तो आसानी से क्वॉरंटीन किया सकता था, उसी कमरे में। स्थिति में वह जिन-जिन के सम्पर्क में आया, उन्हें भी आसानी से चिन्हित कर क्वॉरंटीन किया जा सकता था। ख़ैर, अब वो मौक़ा तो हाथ निकल चुका है, अब वाइरस को और आगे बढऩे से कैसे रोका जाए, हमें यह सोचना होगा, और हमें ही एक बारगी अपने घरों में रुकना होगा।
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कब तक रहेगा ऐसा डरइसे लेकर डॉ. पुरोहित का कहना है कि दुनियाभर के वैज्ञानिकों में दो थ्योरी है। पहली में अगले वर्ष तक चलने की संभावना जताई जा रही है तो दूसरी थ्येारी में उत्तरी गोलाद्र्ध और दक्षिणी गोलाद्र्ध में अलग-अलग मौसम की बात को लेकर संभावना बताई गई है। अभी ये बीमारी हल्का सर्द मौसम होने के कारण उत्तरी गोलाद्र्ध में फैली हुई है, जैसे ही दक्षिणी गोलाद्र्ध में मौसम में बदलाव होगा, वहां पर भी ये बीमारी आग पकडेग़ी। फि लहाल ये महज कयास हैं।

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