READ MORE: तीन साल बाद खूंटे से आजाद हुआ उमेश, पत्रिका में खबर के बाद अब ऐसे हुआ इलाज मुमकिन जब कभी घर से निकल भी जाता था। उसकी सुरक्षा के लिहाज से पेड़ से बांधना पड़ा। वह 12 साल से उसी जगह दैनिक क्रियाओं के साथ खाना-पीना भी करता है। रात को उसे घर की ही एक कोठरी में खाट से बांध दिया जाता है और सुबह होते ही फिर पेड़ तले उसका ठिकाना करना पड़ता है। मां संता ने बताया कि १२ साल पहले उसके इलाज के लिए कर्ज लिया था, वह भी नहीं चुक पाया है। जीवा को देख रोज मन भर आता है, लेकिन उपचार करवाना अब परिवार के बस की बात नहीं।
READ MORE: नन्हेे उमेश की कहानी सुन हो जाएंगी आंखें नम..पहले एचआईवी ने मां-बाप छीने, अब तीन साल से बंधा है खूंटे पर गौरतलब है कि इसी तरह पिछले 3 सालों से खूंटे से बंधे उमेश की कहानी पत्रिका में छपने के बाद बाल अधिकार आयोग, बाल अधिकारिता विभाग और स्वयंसेवी संस्थाओं ने उसकी सुध ली है। उदयपुर में बच्चे का नि:शुल्क उपचार होगा। सोमवार के अंक में समाचार देख बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी के निर्देश पर समाज कल्याण उपनिदेशक मीना शर्मा, बाल कल्याण समिति सदस्य हरीश पालीवाल व क्षेत्र की संस्थाओं के प्रतिनिधि कोल्यारी पहुंचे। आसरा विकास संस्थान के भोजराजसिंह राठौड़ व फलासिया थाने से एएसआई सत्यनारायण भी साथ थे।