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उमेश के जैसा ही जीवा का भी हाल…12 साल से बंधा है पेड़़ से, क्‍या इसे भी मिलेेेेगा सहारा

locationउदयपुरPublished: Aug 22, 2017 03:32:00 pm

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खेरवाड़ा से करीब सात किमी दूर बायड़ी पाल में जीवा (15) पुत्र हुरमा राम मीणा को भी मदद की आस है। वह 12 साल से पेड़ से बंधा है।

JEEVA
खेरवाड़ा से करीब सात किमी दूर बायड़ी पाल में जीवा (15) पुत्र हुरमा राम मीणा को भी मदद की आस है। वह 12 साल से पेड़ से बंधा है। तीन बहनों के बाद आदिवासी किसान परिवार में जन्मा जीवा ढाई साल की उम्र तक सामान्य था। आंगन में चलने-फिरने के साथ वह तुतलाती जुबान से अपनी जरूरतें भी बता देता था, लेकिन तीन साल का होने तक उसे पांव में सूजन के साथ दर्द की शिकायत उठने लगी। परिजन आसपास के सरकारी अस्पतालों में ले गए, जहां से अहमदाबाद ले जाने को कह दिया गया। माता-पिता अहमदाबाद भी गए। चिकित्सकों के कहने पर जैसे-तैसे तीन लाख रुपए का बंदोबस्त कर ऑपरेशन भी कराया, लेकिन उसके बाद हालात और विकट हो गए। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान ही जीवा ने बोलना बंद कर दिया और हरकतें भी विक्षिप्तों जैसी होन गईं। तीन महीने अस्पताल में भर्ती रखने के बाद चिकित्सकों ने इजाज में असमर्थता जता दी और परिजनों बच्चे को घर ले आए। अब वह हर मौसम में घर के पास पेड़ से बंधा रहता है। माता-पिता ने बताया कि दिमाग पर काबू नहीं होने से वह कुछ भी उठाकर किसी पर भी फेंक देता था।
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जब कभी घर से निकल भी जाता था। उसकी सुरक्षा के लिहाज से पेड़ से बांधना पड़ा। वह 12 साल से उसी जगह दैनिक क्रियाओं के साथ खाना-पीना भी करता है। रात को उसे घर की ही एक कोठरी में खाट से बांध दिया जाता है और सुबह होते ही फिर पेड़ तले उसका ठिकाना करना पड़ता है। मां संता ने बताया कि १२ साल पहले उसके इलाज के लिए कर्ज लिया था, वह भी नहीं चुक पाया है। जीवा को देख रोज मन भर आता है, लेकिन उपचार करवाना अब परिवार के बस की बात नहीं।
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गौरतलब है कि इसी तरह पिछले 3 सालों से खूंटे से बंधे उमेश की कहानी पत्रिका में छपने के बाद बाल अधिकार आयोग, बाल अधिकारिता विभाग और स्वयंसेवी संस्थाओं ने उसकी सुध ली है। उदयपुर में बच्चे का नि:शुल्क उपचार होगा। सोमवार के अंक में समाचार देख बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी के निर्देश पर समाज कल्याण उपनिदेशक मीना शर्मा, बाल कल्याण समिति सदस्य हरीश पालीवाल व क्षेत्र की संस्थाओं के प्रतिनिधि कोल्यारी पहुंचे। आसरा विकास संस्थान के भोजराजसिंह राठौड़ व फलासिया थाने से एएसआई सत्यनारायण भी साथ थे।
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