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उदयपुर

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज में राजस्व तो जीरो, खर्चे सामने, मुश्किलें बहुत

ऑटोमोबाइल सेक्टर वाले बोले सरकार तत्काल राहत दे, छूट के अलावा मदद भी करें

उदयपुरMay 08, 2020 / 03:36 pm

Mukesh Hingar

auto industry file picture

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मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. ऑटोमोबाइल सेक्टर वैसे ही बहुत नुकसान में था। मुश्किलों के बीच उम्मीदें थी थी कि वापस स्थितियां ठीक हो जाएगी लेकिन कोविद-१९ और उसके साथ लॉकडाउन बस फिर क्या था बड़े स्तर पर कारोबार में ग्राफ गिर गया। ग्राहक ही नहीं तो गाडिय़ां कैसे उठेगी। शोरूम के साथ-साथ वर्कशॉप और उसको संभालने वाला मैन पॉवर सब मुश्किल में है। राजस्व की आवक तो जीरो हो गई है और शोरूम, गोदाम के किराए से लेकर स्टाफ की सैलेरी सब को लेकर मुश्किल बढ़ी हुई है। कोरोना के बढ़ते केस की चिंता के साथ-साथ भविष्य की चिंता भी सता रही है कि कारोबार कब खुलेगा। खुलने के बाद गति कब पकड़ेगा। ये तमात बाते उदयपुर के ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े प्रमुख लोगों ने कही। राजस्थान पत्रिका की ओर से की गई बातचीत यहां प्रस्तुत है-

संवाद में आई ये प्रमुख बातें
– कंपनियों और बैंकों की और से ब्याज पर राहत दी जाए
– सशर्त की गाइडलाइन बनाकर ऑटो सेक्टर को शुरू किया जाए
– बंद शोरूम के स्टाफ के वेतन को लेकर सरकार मदद करें
– जीएसटी तत्काल कम की जाए, राज्य सरकार के टैक्स भी कम हो
– ऑटोमोबाइल सेक्टर को खड़ा करने के लिए कुछ अवधि तक सरकार मदद करें
इस सेक्टर सबसे ज्यादा राजस्व सरकार को मिलता
सबसे बड़ा नुकसान इस इंडस्ट्रीज में हुआ है। इसमें मैन पॉवर से लेकर डीलर अभी बहुत मुश्किल में है क्योंकि पूरा आर्थिंक स्ट्रंक्चर हिल गया है। सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व इस इंडस्ट्रीज से मिलता है। मेरी राय में सशर्त गाइडलाइन बनाकर इस इंडस्ट्रीज को शुरू करना चाहिए।
– दिनेश कावडिय़ा, एमडी टेक्नॉय मोर्टस

कैश फ्लो थम गया
कैश फ्लो थम गया है। स्टाफ को वेतन देने में मुश्किलें खड़ी हो गई है। अभी कुछ समझ नहीं आ रहा है। न तो गाडिय़ां बिक रही न सर्विस सेंटर चल रहे है। कुछ बंदिशों के साथ एक बार इसे खोलना चाहिए। सरकार व बैंकों को ब्याज में मदद के साथ ही आर्थिक मदद भी इस सेक्टर में करनी चाहिए।
– सुनील कुमार परिहार, एमडी के.एस. मोटर्स
कारोबार जीरो रहा
अप्रेल में तो कारोबार जीरो ही था। शोरूम बंद ही है। वर्कशॉप में आपातकालीन परिस्थितियों को लेकर सेवाएं दे रहे है। लोग भी घरों में कैद है, बाजार सामान्य नहीं होगा तब तक स्थितयां ऐसी ही दिखती है। रोटेशन पूरा रुका हुआ है, नहीं चलेगा तब तक स्थितियां खराब है। बहुत सारी मुश्किलें है।
– मोहम्मद खान, महाप्रबंधक नवनीत मोर्टस
हाल तो जनवरी से बूरे थे
जनवरी से ही बूरे हाल चल रहे, ४० प्रतिशत तक सेल मार्च तक डाउन हो गई। बीएस ४ का स्टॉक जो मार्च में बिकना था वह स्टॉक में रह गया। बड़े शोरूम, गोदाम उनके किराए, सैलेरी व दूसरे खर्चे सामने है, बहुत परेशानियां है। जीएसटी को कम किया जाए, सेल बढ़ेगी, तो कुछ उम्मीद बंध सकती है। सरकार मदद भी करें।
– शब्बीर के. मुस्तफा, एमडी रॉयल मोटर्स

डीलर पर तो दबाव बढ़ता जा रहा
जब तक लॉकडाउन रहेगा तब तक कैसे क्या होगा यही चिंता है। सैलेरी से लेकर दूसरे खर्चें कैसे निकाले। इस इंडस्ट्रीज को मदद मिलनी चाहिए, अभी तक किसी भी प्रकार की कोई छूट नहीं मिली है। जीएसटी से लेकर ब्याज दरों में छूट मिले। डीलर के ऊपर तो दबाव बढ़ता ही जा रहा है।
– सतपाल सिंह, एमडी वी.एस.एस इंटरप्राईजेज
लॉकडाउन अवधि में तो मदद करें सरकार
बिजनेस जीरो हो गया है। एक बार इस सेक्टर को सशर्त शुरू करना चाहिए। ऑटोमोबाइल रोजगार का सबसे बड़ा सेक्टर भी है। सरकार को जीएसटी व टैक्स कम करना चाहिए। ब्याज दर को कुछ अवधि के लिए कम करना चाहिए। लॉकडाउन पीरियड में स्टाफ के वेतन में भी मदद करें।
– सुभाष सिंघवी, डायरेक्टर सचिन मोटर्स
कंपनी व बैंक ब्याज से तो राहत दें
भारी जीएसटी और लॉकडाउन से कारोबार बंद पड़ा है। ऐसे में यह सेक्टर कैसे उभरेगा। सबसे पहले जीएसटी व टैक्स कम करने चाहिए। स्क्रैपेज पॉलिसी जल्द लाई जाए। स्टॉक में जो गाडिय़ां पड़ी है उसमें कंपनियों व बैंक में ब्याज देना पड़ रहा है। ऐसे संकट के समय में सरकार को मदद देनी चाहिए।
– कैलाश जैन, एमडी एकमे टीवीएस

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