चुनाव में परचम लहराने के लिए विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवार मतदाताओं को रिझाने में कोई भी कोर कसर छोडऩा नहीं चाहते। इस कड़ी में मदिरा का भी चुनाव में खास महत्व है। राजस्थान की मदिरा अपेक्षाकृत महंगी होने व चुनाव आयोग की पैनी नजर के चलते उम्मीदवारों के सहयोगियों का हरियाणा निर्मित अंगे्रजी मदिरा पर जोर है। राजनीतिक दलों की ओर से वोट बटोरने के लिए तस्करों से सीधी-सीधी साठगांठ की जा रही है। तस्कर इस शराब को यहां तहां स्टॉक कर आबकारी व पुलिस महकमे की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। अभी दोनों ही विभाग ने चंद मात्रा में शराब पकड़ी लेकिन बहुतायत मात्रा में अभी भी शराब बॉर्डर पार हो रही है।
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देसी मदिरा का भी उठाव
देसी मदिरा का भी उठाव
आदिवासी अंचल में मतदाताओं को रिझाने के लिए समर्थक देसी खाट्या को भी महत्व देते हुए अपने स्तर पर ही उसकी व्यवस्था करने में भी जुटे हैं। आदिवासी अंचल के कई नदी नालों में इसके लिए बकायदा महुए को पानी में छोड़ रखा है।
आदिवासियों के झोपड़े किराए पर तस्करों ने गरीब आदिवासियों झोपड़ों व खाली खेतों में बने टापरे को किराए पर ले रखा है और स्वयं अन्यत्र नए ठिकानों पर चले गए। उनके झोपड़ों में नामचीन तस्कर हरियाणा निर्मित अंग्रेजी शराब के ट्रक खाली करवा बॉर्डर के आसपास के गांव व बॉर्डर पास शराब भेज रहे हैं।