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यहां लोक शिक्षा केन्द्र के संचालन पर संकट, तीन माह बढ़ाया अनुबंध इसी माह होगा खत्म

locationउदयपुरPublished: Dec 26, 2017 04:48:42 pm

Submitted by:

Shankar Lal Patel

साक्षर भारत मिशन के तहत जिले के 467 सहित प्रदेश के करीब 10 हजार लोक शिक्षा केन्द्रों के एक जनवरी से बंद होने का संकट है।

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गींगला पसं. साक्षर भारत मिशन के तहत जिले के 467 सहित प्रदेश के करीब 10 हजार लोक शिक्षा केन्द्रों के एक जनवरी से बंद होने का संकट है। केंद्रों पर लगे प्रेरकों का अनुबंध इसी माह खत्म हो रहा है। इसके बाद करीब 20 हजार प्रेरक बेरोजगार हो जाएंगे। अनुबंध बढ़ाने की मांग लेकर जिले के प्रेरक मंगलवार को जयपुर में प्रस्तावित धरना प्रदर्शन में शामिल होने के लिए रवाना हुए।

पूर्व में साक्षर भारत मिशन 2012 का कार्यकाल 31 मार्च 2017 को समाप्त हो गया था। प्रेरकों की ओर से धरना प्रदर्शन करने पर 6 माह के लिए 31 सितम्बर तक अनुबंध बढ़ाया। बाद में फिर आंदोलन पर 31 दिसम्बर तक तीन माह का अनुबंध बढ़ाया गया, जो इसी माह खत्म हो रहा है। अब फिर अनुबंध बढ़ाने की मांग पर प्रेरक आंदोलन की राह पर है। इससे पूर्व वर्ष 2002 से 31 मार्च 2009 तक सतत शिक्षा केन्द्र के रूप में संचालन होता था, तब प्रेरक को 700 व सहायक प्रेरक को 500 रूपए मानदेय मिलता था। तब भी आंदोलन हुआ।
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कार्यक्रम आगे बढ़ाने के बजाय 31 मार्च को हटा दिया गया। बाद में साक्षर भारत मिशन कार्यक्रम आने पर कार्यरत प्रेरकों के कोर्ट में जाने पर उन्हें पहली वरियता दी गई। इससे पूर्व साक्षरता अभियान के तहत महज 150 रूपए प्रतिमाह पर जन चेतना केन्द्र और उससे पूर्व 90 के दशक में नि:शुल्क आखरदेवरा का काम भी प्रेरकों ने ही किया था।

अल्प मानदेय पर कार्यरत
साक्षर भारत मिशन मिशन के तहत वर्ष 2011 में प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक-एक लोक शिक्षा केन्द्र खोले गए। जिन पर एक पुरुष और एक महिला प्रेरकों की नियुक्ति की गई। इन्हें 15 से 35 आयु वर्ग के ग्रामीणों को साक्षर करने सहित नवसाक्षरों के लिए समतुल्यता परीक्षा दिलवाना, अध्ययन करवाना और अन्य सरकारी योजनाओं में ंसहयोग का जिम्मा दिया गया था। प्रेरकों को मासिक दो हजार का मानदेय मिलता है। वह भी दो साल से बकाया है। इसके अलावा सरकार की ओर से महात्मा गांधी पुस्तकालय, वाचनालय के संचालन के लिए 5 सौ रूपए अतिरिक्त दिए जाते हैं।

इनका कहना…

प्रेरकों के जिम्मे सरकार की कई योजनाओं और सर्वे में सहयोग लेकर कार्य सम्पादित करवाए गए। हर बार मानदेय बढ़ाना तो दूर नौकरी पर ही संकट आने पर आंदोलन होता है, जिसे शांत करने के लिए कुछ समय के लिए अनुबंध बढ़ाया जाता है, जबकि चुनावी घोषणा पत्र में संविदाकर्मियों को नियमित करने का वादा किया गया था। आज प्रेरक फिर से जयपुर में आंदोलन करेंगे।
– गौतम लाल पटेल, जिलाध्यक्ष, प्रेरक संघ उदयपुर
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