संसद में बोले सांसद उदयपुर संभाग में जनजाति का पैसा दूसरी जगह खर्च कर रहे अफसर
शून्यकाल में उठाया सांसद मीणा ने मुद्दा

मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. आदिवासियों के कल्याण और उनके क्षेत्र के विकास के लिए केन्द्र सरकार बड़ा बजट देती है लेकिन अफसर उस बजट का सही उपयोग नहीं कर रहे है, साथ ही बजट जनजाति की बजाय दूसरी जगह खर्च कर रहे है। सांसद ने कहा कि जनजाति प्लान के तहत दिए जाने वाले बजट और उसके खर्च की समीक्षा प्रत्येक छह महीने में होनी चाहिए।
यह बात सांसद ने बुधवार को लोकसभा में शून्यकाल रखी। सांसद ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के लिए जो पैसा आता है वह दूसरी तरफ डायर्वट कर दिया जाता है, कई मदो में तो बजट खर्च ही नहीं हो पाता है। सांसद ने कहा कि जनजाति के अफसर अपनी मनमर्जी से पैसा दूसरी जगह लगा देते है जबकि वह पैसा आदिवासियों के विकास के लिए खर्च करने होते है। उन्होंने कहा कि उदयपुर संभाग में इस बजट से उन स्थानों पर मां बाड़ी केन्द्र खोल दिए जहां पर बच्चे ही नहीं थे और बजट खर्च कर दिया। सांसद ने कहा कि प्रत्येक छह महीने में आदिवासियों के लिए आने वाले बजट की समीक्षा होनी चाहिए और आदिवासी सब प्लान से बाहर जहां बजट खर्च कर दिया उसकी जांच होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि पत्रिका ने पूर्व में समाचार भी प्रकाशित किया था कि आदिवासियों की भलाई भूलकर अफसरों ने लगा दिए एसी-वाइफाइ।
कन्याकुमारी तक नई रेलगाड़ी का प्रस्ताव नहीं
सांसद के उदयपुर से कन्याकुमारी रेलगाड़ी के सवाल पर सरकार ने जवाब में कहा कि इस समय कन्याकुमाी पर टर्मिनल तंगी एवं परिचालनिक कठिनाइयों के कारण उदयपुर से कन्याकुमारी के बीच नई रेलगाड़ी सेवा चलाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
पीए फसल बीमा पर भी सवाल
सांसद के प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2016 से अभी तक उदयपुर जिले सहित प्रदेश भर के दावे के भुगतान पर भी सवाल किया। सरकार ने जवाब में कहा कि उदयपुर जिले में वर्ष 2016-17 में 28,980 करोड़ तथा 17-18 में 22.520 तथा 18-19 में 6,850 करोड़ रुपए भुगतान दावों पर खर्च किए।
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