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वाणी में अमृत और विष
आयड़ वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में ऋषभ भवन में चातुर्मास कर रहे मुनि प्रेमचंद ने सोमवार को पर्युषण महापर्व के पांचवे दिन कहा कि हमारे जीवन में सकारात्मक भाव लाने का हेतु बने। कर्म निजरा एवं धर्म आराधना मानव जीवन में ही संभव है। वाणी में अमृत एवं विष दोनों है। हमारा वाणी व्यवहार हमेशा प्रिय एवं संतुलित रहना चाहिए।
भगवान महावीर का हुआ जन्मवांचन
मुनि शास्त्रतिलक विजय की निश्रा में जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक समिति के तत्वावधान में हिरणमगरी से. 4 स्थित जिनालय में पर्युषण पर्व के छठें दिन भगवान महावीर के जन्म का वांचन किया गया। भगवान महावीर जब माता त्रिशला के गर्भ में आए तो 14 स्वप्नों की बोलियांं बोली गई और 14 स्वप्न उतारने का कार्यक्रम हुआ। इसका लाभ सुशील एवं सरला बांठिया परिवार ने लिया।
वाणी में अमृत और विष
आयड़ वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में ऋषभ भवन में चातुर्मास कर रहे मुनि प्रेमचंद ने सोमवार को पर्युषण महापर्व के पांचवे दिन कहा कि हमारे जीवन में सकारात्मक भाव लाने का हेतु बने। कर्म निजरा एवं धर्म आराधना मानव जीवन में ही संभव है। वाणी में अमृत एवं विष दोनों है। हमारा वाणी व्यवहार हमेशा प्रिय एवं संतुलित रहना चाहिए।
भगवान महावीर का हुआ जन्मवांचन
मुनि शास्त्रतिलक विजय की निश्रा में जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक समिति के तत्वावधान में हिरणमगरी से. 4 स्थित जिनालय में पर्युषण पर्व के छठें दिन भगवान महावीर के जन्म का वांचन किया गया। भगवान महावीर जब माता त्रिशला के गर्भ में आए तो 14 स्वप्नों की बोलियांं बोली गई और 14 स्वप्न उतारने का कार्यक्रम हुआ। इसका लाभ सुशील एवं सरला बांठिया परिवार ने लिया।