scriptनगर भ्रमण पर प्रभु शांतिनाथ | Lord Shantinath on the city tour | Patrika News

नगर भ्रमण पर प्रभु शांतिनाथ

locationउदयपुरPublished: Oct 02, 2018 02:46:52 am

Submitted by:

Pankaj

सुखपाल में विराजित हो किया नगर भ्रमण, शांतिनाथ दिगंबर जैन खंडेलवाल तेरहपंथ समाज

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उदयपुर . शांतिनाथ दिगंबर जैन खंडेलवाल तेरहपंथ समाज सन्मति भवन मंडी की नाल के मूलनायक श्रीजी भगवान शांतिनाथ को सुखपाल में विराजित कर नगर भ्रमण कराया गया। पुन: निज मंदिर में अभिषेक एवं पूजन कर वेदी पर विराजित किया गया। इससे पूर्व तेरह पंथ खंडेलवाल समाज की पालकी में प्रभु शांतिनाथ को मंडी की नाल समाज के निज मंदिर से समाज जनों की उपस्थिति में गाजे-बाजे के साथ उदासीन आश्रम अशोकनगर ले जाया गया, जहां समाजजनों की भागीदारी रही।

अध्यक्ष अरुण शाह ने बताया कि शहर के प्रमुख मार्गों से होकर शोभायात्रा निकली। श्रावक हुक्मीचंद शाह को सम्मानित किया गया। नवयुवक मंडल की ओर से कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत किया गया। सचिव कैलाश जैन ने बताया कि राकेश जैन, अनिल वैद, वीरेंद्र जुगराज गदिया, विनय शाह, सुरेश गदीया, राजेश वैद, राजकुमार शाह, शशिकांत शाह, विकास गदिया, सरला वेद, नीलू गदिया, नीरज गदिया, विमल गदिया, शान्तिलाल सोनी, कैलाश सोनी, चिरंजीलाल काला मौजूद थे।

परमात्मा से शरण मांगो
आचार्य शिवमुनि ने महाप्रज्ञ विहार में धर्मसभा में कहा कि मनुष्य जीवन भर परमात्मा से सुख-सुविधाएं मांगता है, लेकिन परमात्मा से उनके जैसा बनने व उनकी शरण मांगनी चाहिए। क्योंकि उनकी श्रण में जाते हैं, आत्म कल्याण हो जाता है।

जन्म जयंती महोत्सव
हुमड़ भवन में आचार्य विमलसागर का जन्म जयंती महोत्सव मनाया गया। मुनि धर्मभूषण ने कहा कि प्रभु मिलन से पूर्व गुरू मिलन का होना जरूरी है। गुरू के गुणों का चिन्तन करने से मन विशुद्ध होता है।
आत्मा को अच्छा बनाना ही धर्म
युवा प्रवचनकार मुनि शास्त्रतिलक विजय ने कहा कि धर्म वही है, जो आत्मा को शुद्ध बनाए। वे सेक्टर 4 स्थित शांतिनाथ जिनालय में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। जानकारी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जिनालय समिति अध्यक्ष सुशील कुमार बांठिया ने दी।
सर्वतोभद्र महापूजन
आयड़ तीर्थ पर आचार्य यशोभद्र सूरिश्वर, मुनि अमित यश विजय, साध्वी सिद्धप्रज्ञाश्री की निश्रा में अष्ट दिवसीय अष्टाह्निका महोत्सव के चौथे दिन सोमवार को सर्वतोभद्र महापूजन किया गया। महासभा के अध्यक्ष तेज सिंह बोल्या बताया कि राकेश जैन एंड पार्टी ने संगीतमय पढ़ाई गई पूजा की सभी विधियों को लाभार्थी परिवार ने किया।
अहंकार तोड़ो
आराधना भवन में वर्षावास कर रहे पन्यास प्रवर श्रुत तिलक विजय ने धर्मसभा में कहा कि अहंकार एक गुब्बारे जैसा है। गुब्बारे जैसे अहंकार को जब-जब किसी की प्रशंसा की फूंक मिलती है, वो बढ़ता रहता है, लेकिन अगर कोई छोटा सा भी तिरस्कार की सुई लगती है तो गुब्बारा फूट जाता है।
जो पाप में प्रवृत नहीं होता वह खानदानी
ऋषभ भवन में चातुर्मास कर रहे मुनिश्रेष्ठ प्रेमचंद ने कहा कि निमित मिलने पर भी जो व्यक्ति गलत कार्यों में प्रवृत्त नहीं होता है, जो व्यसन में नहीं बढ़ता है वह खानदानी है। बड़ों की स्वीकृति होने पर भी जो लिये हुए प्रण को नहीं छोड़े वह खानदानी है।
नशा नाश का द्वार
अणुव्रत समिति की ओर से अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के छठे दिन केन्द्रीय सभागार में नशा मुक्ति दिवस के रूप में बंदियों के बीच में मनाया गया। समिति के प्रचार मंत्री राजेन्द्र सेन ने बताया कि नशा मुक्ति को लेकर साध्वी प्रेक्षा प्रभा ने कहा कि नशा व्यक्ति और परिवार को बर्बाद कर देता है।
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