scriptvideo : ये ऐतिहासिक तालाब जल संकट से बचाता रहा है उदयपुर को, अब इसमें इस कारण से पानी की आवक हो गई कम… | Low Water Level In Badi Lake, Udaipur | Patrika News
उदयपुर

video : ये ऐतिहासिक तालाब जल संकट से बचाता रहा है उदयपुर को, अब इसमें इस कारण से पानी की आवक हो गई कम…

– कैचमेंट का पानी डायवर्ट होता है मदार छोटा की ओर भी

उदयपुरJun 14, 2019 / 07:47 pm

Dhirendra

badi lake

ये ऐतिहासिक तालाब जल संकट से बचाता रहा है उदयपुर को, अब इसमें इस कारण से पानी की आवक हो गई कम…

धीरेंद्र जोशी/उदयपुर . ऐतिहासिक बड़ी तालाब के कैचमेंट क्षेत्र में अतिक्रमण तो नहीं है मगर आधा दर्जन से अधिक एनीकट बन जाने से तालाब में पानी की आवक कम हो गई है। दूसरी ओर तालाब से फतहसागर तक आने वाले नाले को अतिक्रमण मुक्त करना होगा। बड़ी से फतहसागर आने वाले नाले के आसपास रिसोर्ट, होटल, फार्म हाउस आदि बन गए है और बन रहे हैं जिनका अपशिष्ट नाले में डाला जा रहा है। कुछ जगह नाले का प्राकृतिक स्वरूप बिगाडऩे के साथ ही इस पर कब्जा भी कर लिए गए हैं।
बड़ी तालाब उदयपुर शहर को जल संकट से बचाता रहा है, लेकिन इसका केचमेंट क्षेत्र सीमित होने से शहर की बढ़ती आबादी एवं इसके नाले पर बढ़ते अतिक्रमणों को देखते हुए नए विकल्प तलाशने होंगे। फिलहाल यह तालाब मानसी वाकल प्रथम के विकल्प के रूप में सामने आया है। 370 एमसीएफटी के इस तालाब का कैचमेंट एरिया उभयेश्वर की पहाडिय़ां ही है।
नाले में अपशिष्ट डालने से प्रदूषण

बड़ी तालाब और आसपास के क्षेत्रों में होटलें, रिसोर्ट और फार्म हाउस बने हुए हैं। इनसे निकलने वाला अपशिष्ट वर्ष भर बड़ी से फतहसागर को जोडऩे वाले नाले में डाला जाता है। साथ ही आसपास के गांवों की गंदगी भी नाले में ही छोड़ी जा रही है। ऐसे में जब भी पानी आता है, यह गंदगी बहकर सीधे ही फतहसागर में समाहित हो जाती है।
अतिक्रमण से बचा हुआ

बड़ी तालाब अब तक अतिक्रमण से बचा हुआ है जिसका बड़ा कारण यह है कि तालाब के आसपास का क्षेत्र वन विभाग के अधीन है। तालाब में मदार वाले मार्ग पर काश्तकारी पट्टे के खेत हैं।
आवक में एनीकट बने रोड़ा

बड़ी तालाब को भरने में एनीकट रोड़ा बने हुए हैं। इसके कैचमेंट एरिया में करीब छह एनीकट बने हुए हैं। इनके भरने के बाद पानी तालाब तक पहुंचता है। साथ ही इसके कैचमेंट क्षेत्र का पानी मदार छोटा तालाब की ओर भी डायवर्ट होता है जिससे तालाब में पानी की आवक बहुत ही कम है।
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लोगों का कहना है…

खेतों की सिंचाई के काम आता था पानी

बड़ी निवासी नारायणलाल सुथार ने बताया कि उभयेश्वरजी की ओर से आने वाले पानी का रुख मदार की ओर कर दिया गया था जिसे सुखाडिय़ाजी के समय पुन: बड़ी ओर किया गया। मदार में अधिक पानी जाने से बड़ी तालाब पूरा नहीं भर पाता। साथ ही इस तालाब के आवक मार्ग में कई जगह एनीकट बना दिए गए हैं जिससे तालाब में पानी कम आता है।
बडूंदिया तालाब से भरा जा सकता है बड़ी
सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त सर्वेयर केसुलाल सुथार ने बताया कि तालाब के पानी से आसपास के बड़े क्षेत्र में सिंचाई की जाती थी लेकिन अब इसका पानी शहर की प्यास बुझाने का काम कर रहा है। पेयजल के लिए बड़े और स्थायी समाधान ढूंढऩे चाहिए। साथ ही बड़ी तालाब को प्रतिवर्ष भरने के लिए गोगुंदा के मजावत के पास बडूंदिया तालाब (सुखेर तालाब) से करीब 5 से 6 किलोमीटर की टनल बनाकर धार होते हुए पानी तालाब में लाया जा सकता है। इसका प्रस्ताव बनाकर इसे पूरा किया जाए।
नाले का प्रस्ताव बना पर नहीं हुआ पक्का

बडग़ांव ग्राम सेवा सहकारी समिति के उपाध्यक्ष मदन पंडित ने बताया कि वर्ष 2011 में बड़ी से फतहसागर को जोडऩे वाले करीब 7 से 8 किलोमीटर नाले को पक्का करने के लिए करीब छह करोड़ रुपए का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते यह काम अधर में है। वर्तमान में आसपास कई बड़े होटल व्यवसायी आ गए हैं। ऐसे में इस नाले पर भी कब्जा किया जा रहा है। इसकी शिकायत 2006 में भी तहसीलदार को की गई, लेकिन होटल संचालक ने अपने पहुंच का लाभ उठाते हुए कब्जा बरकरार रखा।
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इंफो…

– 6 वर्ग मील तालाब का क्षेत्रफल
– 370 एमसीएफटी भराव क्षमता

– 32 फीट भराव क्षमता
– रेटिंग -03

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