आंशिक चन्द्रग्रहण का सुखाडिय़ा विवि mohanlal sukhadia university के पूर्व प्रोफेसर और वर्तमान में चितौडगढ़़ Chittorgarh जिले के कपासन में रवीन्द्र नाथ टैगोर महाविद्यालय में भौतिक शास्त्र विभाग के प्रोफेसर एस.एन.ए. जाफरी ने अपनी टीम के साथ अध्ययय्न किया। टीम में शामिल असिस्टेंट प्रोफेसर श्रवण कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर शुभम, सहायक तकनीशियन करण एवं शोध विद्यार्थियों हरिवंश गौरव की टीम ने 6 इंच के कैसेग्रेरिसन रिफ्लेक्टिंग दूरदर्शी द्वारा किया।
आंशिक चंद्रगहण रात 1.30 बजे आरम्भ होकर 4.15 बजेे पूर्ण हूआ । यह चन्द्र ग्रहण 2 जुलाई के सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद हुआ। इस चन्द्र ग्रहण को पूरे भारत वर्ष में देखा जा सका। महाविद्यालय की टीम ने रात 11 बजे से ही तैयारी कर ली और ठीक 1.30 बजे प्रेक्षण आरम्भ कर दिए।
आंशिक चंद्रगहण रात 1.30 बजे आरम्भ होकर 4.15 बजेे पूर्ण हूआ । यह चन्द्र ग्रहण 2 जुलाई के सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद हुआ। इस चन्द्र ग्रहण को पूरे भारत वर्ष में देखा जा सका। महाविद्यालय की टीम ने रात 11 बजे से ही तैयारी कर ली और ठीक 1.30 बजे प्रेक्षण आरम्भ कर दिए।
प्रदूषण ने रोका लाल रंग
दूरदर्शी द्वारा चन्द्रग्रहण आंशिक रूप से काला दिखाई दिया, जबकि चन्द्रग्रहण अक्सर लाल दिखाई देता है, यह इस बात को दर्शाता है कि छाया चन्द्रमा पर गिरती है और सूर्य का प्रकाश आंशिक चन्द्रग्रहण में पृथ्वी के वायुमण्डल से गुजरता हुआ चन्द्रमा पर पहुंचता है। रैले प्रकीर्णन द्वारा अधिकांश नीला रंग पृथ्वी के वायुमण्डल से निकल बाहर हो जाता है और केवल लाल रंग ही चन्द्रमा पर पहुंचता है, जिससे चन्द्रमा लाल दिखाई देता है। परन्तु इस बार ऐसा नहीं हुआ। चन्द्रमा पर छाया पृथ्वी की केवल काली थी और अधिक प्रदूषण ने लाल रंग को भी रोक लिया। इस प्रेक्षण का निष्कर्ष यही है कि हमें प्रदूषण कम करने की अत्यन्त आवश्यकता है।
दूरदर्शी द्वारा चन्द्रग्रहण आंशिक रूप से काला दिखाई दिया, जबकि चन्द्रग्रहण अक्सर लाल दिखाई देता है, यह इस बात को दर्शाता है कि छाया चन्द्रमा पर गिरती है और सूर्य का प्रकाश आंशिक चन्द्रग्रहण में पृथ्वी के वायुमण्डल से गुजरता हुआ चन्द्रमा पर पहुंचता है। रैले प्रकीर्णन द्वारा अधिकांश नीला रंग पृथ्वी के वायुमण्डल से निकल बाहर हो जाता है और केवल लाल रंग ही चन्द्रमा पर पहुंचता है, जिससे चन्द्रमा लाल दिखाई देता है। परन्तु इस बार ऐसा नहीं हुआ। चन्द्रमा पर छाया पृथ्वी की केवल काली थी और अधिक प्रदूषण ने लाल रंग को भी रोक लिया। इस प्रेक्षण का निष्कर्ष यही है कि हमें प्रदूषण कम करने की अत्यन्त आवश्यकता है।