ये कार्य रहेंगे वर्जित
पंडित शर्मा ने बताया कि ग्रहणकाल में शास्त्रों के अनुसार भोजन, निंद्रा, झूठ बोलना, चोरी करना, किसी प्रकार का पाप कर्म, मंदिरों में प्रवेश, प्रतिमा स्पर्श आदि नहीं करना चाहिए। इस काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी चाहिए, उन पर चंद्रमा की छाया बिल्कुल नहीं पडऩी चाहिए।
मिलता है विशेष फल
ग्रहण काल में जप-तप का फल अनंत गुणा मिलता है। ग्रहण काल में अपने इष्ट का मानस स्मरण करना भी शुभ रहता है। ग्रहण के पश्चात दान करने से अच्छा फल मिलता है।
दाब, तुलसी से शुद्धि
शास्त्रों के अनुसार सूतक से पूर्व आटा, शक्कर, चावल, दूध, मिठाइयां आदि खाद्य पदार्थों में तुलसी दल या दाब रखनी चाहिए। ऐसा करने से ग्रहण का प्रभाव खाद्य पदार्थों पर नहीं पड़ता।
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-मेष : सामान्यत: प्रतिकूल, असंतोषप्रद। -वृष : लाभकारी व सफलताप्रद। -मिथुन : सम्मान को ठेस, अशांतिप्रद। -कर्क : कष्टप्रद, धन हानि, क्षतिप्रद। -सिंह : सामान्यत: कष्टकारक, व्ययप्रद रहेगा। -कन्या : धनलाभ, सुख साधनों का विकास होगा।
-तुला : सुखोन्नति, लाभकारी। -वृश्चिक : असंतोषप्रद, सम्मान में कमी महासूस होगी। -धनु : प्रतिकूलताप्रद, कष्टप्रद, अशांतिप्रद रहेगा। -मकर : परिजन को कष्ट, सुख में बाधा महसूस होगी। -कुम्भ : उत्तम फलप्रद, प्रिय से खुशी।
-मीन : बाधाकारक, चिंताप्रद। यह ग्रहण कुल 3 घंटा 23 मिनट रहेगा।