उदयपुर

लेकसिटी में ठेला माफिया : रोजाना होती है डेढ़ से दो लाख की अवैध वसूली

– नो वेडिंग जोन केवल दिखावा, रातों रात लगते हैं ठेले- निगम में कागजी चाल, कार्रवाई के नाम पर मौन- मजबूरी ऐसी कि पार्षद की भी नहीं सुन रहे – बिगड़ रहा शहर का सौन्दर्य

उदयपुरFeb 17, 2019 / 12:27 pm

Sikander Veer Pareek

लेकसिटी में ठेला माफिया : रोजाना होती है डेढ़ से दो लाख की अवैध वसूली

मुकेश हिंगड़/उदयपुर. शहर ठेला माफियाओं की गिरफ्त में है। अफसर से लेकर पूर्व गृहमंत्री तक बेबस हैं। चौंकाने वाला आंकड़ा है कि इन ठेलों से प्रतिदिन कम से कम डेढ़ से दो लाख रुपए की अवैध वसूली का खेल चल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक शहर में 6000 ठेले हैं, इनमें से 3000 की निगम से अनुमति मानें तो शेष अवैध बचे। इस तरह प्रतिमाह कम से कम 45 लाख रुपए की अवैध वसूली का खेल चल रहा है। कुछ राशि ठेला माफिया, कुछ निगम के कारिंदे तो रही-सही कसर यातायात पुलिसकर्मी पूरी कर देते हैं। इससे न केवल शहर की सुंदरता बिगड़ रही है बल्कि अवैध वसूली और अतिक्रमण का खेल भी धड़ल्ले से चल निकला है। भाजपा का दावा है कि पिछले कुछ सालों में उदयपुर में रोड नेटवर्क का जाल बिछा दिया गया। सवाल यह कि जब सडक़ें ही नहीं थी तो ठेले भी नहीं थे, अब सडक़ बनने पर अचानक ठेले कैसे और किसकी शह पर लगे? निगम के प्रतिनिधि, नेता, अफसर, पुलिसकर्मी भी इन्हीं सडक़ों पर निकलते हैं। ऐसे में तत्काल रोक क्यों नहीं लगाई। अब नगर निगम की बैठक में पूर्व गृहमंत्री से लेकर पार्षद, ठेला माफियाओं के आतंक की बात कह रहे हैं। यह भी स्वीकार किया जा रहा है कि पर्दे के पीछे बड़े लोग हैं। शहरवासियों की मांग है कि अतिक्रमण कर शहर का सौन्दर्य बिगाडऩे वाले ऐसे माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

पूरी दाल ही काली
ठेला माफिया तो पांव पसार रहा है। साथ ही नगर निगम में अवैध वसूली करने वालों की संख्या भी बढ़ी है। जब एक से ज्यादा पार्षदों ने खुलेआम वसूली की बात कही तो दाल में काला ही नहीं पूरी दाल ही काली नजर आ रही है। सडक़ों के किनारों ठेलों की कतारें लग गई है, लेकिन नगर निगम ने चुप्पी साध रखी है।

बीते महीने चेताया भी था पर हुआ कुछ नहीं
नगर निगम ने आठ जनवरी को नो वेण्डिग जोन की सूची से आम जनों को सूचित किया कि नो वेण्डिग जोन में किसी भी प्रकार की गतिविधियां संचालित होती है तो कार्रवाई की जाएगी, लेकिन सिवाय नोटिस जारी करने के कुछ नहीं किया।
 

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ऐसे पनपे ठेला माफिया
– ठेले खरीदकर लाते हैं, दिन भर के हिसाब से किराए पर दे देते हंैं।
– दुकानों के बाहर जो ठेले या स्टॉल लगी है उनका किराया वसूला जाता है, जबकि सडक़ तो सार्वजनिक है
– ठेले खरीदने के बाद सडक़ किनारे खड़ा कर कुछ समय बाद ठेले सहित जगह भी बेच देते (यानी उस जगह खड़े रह सकते)
– कुछ लोगों का ठेलों का ही काम है, शाम को जाकर वसूली करते हैं
– नगर निगम वालों को अफसर कहते ठेले हटाए तो नीचे लोग वसूली कर आते
(जैसा पार्षदों ने कहा)
 

कार्रवाई करेंगे

बोर्ड बैठक में जो मुद्दा उठा उसी समय तय कर लिया कि नगर निगम, यूआईटी व यातायात पुलिस की संयुक्त टीम बनाकर कार्रवाई करेेंगे। नो वेण्डिग जोन में ठेले नहीं खड़े रहेंगे। – ओपी बुनकर, आयुक्त, नगर निगम
चिन्हित को लाइसेंस
जितने लोग चिन्हित हुए उन्हें लाइसेंस देने की प्रक्रिया चल रही है। हमने टाउन वेडिंग कमेटी के साथ ही एक सब कमेटी भी बनाई, जो वास्तविकता की सुनवाई भी कर रही है। – राकेश पोरवाल, अध्यक्ष, स्वर्ण जयंती रोजगार समिति (नगर निगम)

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