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VIDEO : उदयपुर के एमबी अस्पताल में चल रहा ये खेल, आम का हक मार रहे खास…. पढ़े पूरी खबर

locationउदयपुरPublished: Jan 02, 2019 03:49:22 pm

Submitted by:

Mohammed illiyas

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महा गड़बड़झाला : एमबी चिकित्सालय के धोबीघाट पर साबुन-सोड़ा सरकारी, चादरें चमकाते निजी, पढ़े पूरी खबर

मोहम्मद इलियास . उदयपुर साबुन-सोड़ा, मशीनरी सबकुछ सरकारी लेकिन मैल काट रहे है निजी अस्पतालों, होटलों व धर्मशालाओं की चादरों का। यह गड़बड़झाला हो रहा है संभाग के सबसे बड़े महाराणा भूपाल चिकित्सालय के धोबीघाट पर। देखने-सुनने में भले ही अटपटा लगे लेकिन यह हकीकत है। अस्पताल की गंदी चादरों की गठरियों के बीच धोबी बाहरी कपड़े, चादरें, तौलिये, पर्दे आदि धोकर चांदी काट रहे हैं। लाखों का टेंडर व साबुन-सर्फ सरकारी होने के बावजूद इनसे धुलाई बाहरी कपड़ों की हो रही है, अस्पताल की चादरें मटमैले गर्म पानी में धोकर पुन: वार्डों में पहुंचाई जा रही है। राजस्थान पत्रिका के संवाददाता ने एक सप्ताह तक धोबीघाट पर निगरानी रखी तो कई गड़बड़झाले सामने आए। बाहरी कपड़े धोने के अलावा प्रति माह मिलने वाला साबुन व अन्य सामान बाहर थोक के भाव बिकता नजर आया। स्थायी कर्मचारियों की कमी के चलते अधिकतर धुलाई का काम ठेकेदार के पास है जिसने अपने स्तर पर धुलाई का बाहरी ठेका लेकर सरकारी खर्च पर उनको दमका रहा है। अस्पताल प्रबंधन के लोग जानकार भी अनजान हैं।

अस्पताल की चादरों के पीछे दूसरा खेल

धोबीघाट पर सुबह 9 से 10 सरकारी अस्पताल की चादरों व कपड़ों की धुलाई का काम चलता है। आउटडोर बंद होने के बाद धोबी अपने-अपने हिसाब से होटलों, धर्मशालाओं व निजी अस्पतालों के कपड़ों की गठरियां लेकर पहुंचते हैं। वे सरकारी साबुन-सर्फ से बाहरी कपड़े धोते हैं। दिखावे के लिए वे मुर्दाघर व उसके बाहर अस्पताल की चादरों को आगे सुखाकर उनके पीछे अन्य कपड़ों को सुखाते हैं। संवाददाता ने जब वहां सुख रहे नेपकिन, रंगीन चादरें व अन्य कपड़ों के बारे में पूछा तो वहां धोबी सकपका गए और तुरत फुरत उन्हें समेट लिया।

चोरी छिपे सरकारी बिजली से इस्त्री

धोबीघाट में कपड़े धुलाई के अलावा इस्त्री भी होती है। शाम पांच बजे के बाद सरकारी बिजली खर्च कर अस्पताल परिसर में ही रहने वालों परिवारों एवं अन्य के कपड़ों पर प्रेस कर चांदी काटी जा रही है।
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अस्पताल अधीक्षक लाखन पोसवाल से सीधी बातचीत
– धोबीघाट पर क्या बाहर के कपड़े धुलते हैं?
जवाब: पत्रिका से जानकारी मिलने के बाद निरीक्षण किया तो वहां मुझे बाहर के कपड़े नहीं मिले।
– धुलाई बिल का भुगतान कैसे होता है?

जवाब: श्रमिकों की हाजिरी आती है, उसके बाद नर्सिंग अधीक्षक जांच कर बिल का भुगतान करते हैं।
– प्रतिमाह साबुन-सोड़ा कैसे उपलब्ध करवाया जाता है?

जवाब: धोबियों की मांग के अनुसार उन्हें प्रतिमाह साबुन-सोड़ा व अन्य सामान उपलब्ध करवाया जाता है। इसकी मेडिकल ऑफिसर बतौर इंचार्ज के रूप में जांच करते हैं। अगर कोई सरकारी सम्पत्ति बाहर बिकती है तो गंभीर अपराध है। ऐसा होता है तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
– धोबीघाट में बाहर के कपड़ों पर प्रेस हो रही है?
जवाब: ओटी में धुलने वाले कपड़ों के लिए प्रेस दे रखी है। बाहर के कपड़े प्रेस हो रहे हैं, तो दिखवाता हूं।

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पहले भी पाबंद किया था

तीन-चार वर्ष पहले भी ऐसी शिकायत आई थी, तब सभी को समझाइश कर पाबंद किया था। मेरे ड्यूटी टाइम में तो धोबी बाहर के कपड़े नहीं धो रहे हैं। ड्यूटी समय खत्म होने के बाद मैटर्न की जिम्मेदारी है, उसे जांच करनी चाहिए। वार्ड बढऩे के साथ ही कपड़ों की धुलाई के अनुसार साबुन-सोड़ा और बढऩा चाहिए थे, लेकिन उनकी मांग तो बरसों से वहीं है। — डॉ. विशाल भटनागर, धोबीघाट इंचार्ज
सामग्री का ब्योरा (प्रतिमाह)
काला साबुन चूरा – 400 करीब किलो ग्राम
सोड़ा- 200 किलो ग्राम
सोड़ाकास्टिक सोड़ा- करीब 50 किलो ग्राम


यह है धोबीघाट का लेखा-जोखा
अस्पताल के सभी वार्डों के कुल चादरें-1500 से 2000
– बाहरी चादरें धुलती है प्रतिदिन- 800 से 1000
– तौलिये, नेपकिन, रंगीन चादरे आदि की होती है धुलाई
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