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उदयपुर

मुर्गा-मछली उत्पादन बढ़ाकर करेंगे राजस्व वृद्धि…ट्रेनिंग प्रोग्राम भी बनेंगे आय बढ़ाने का जरिया

विश्वविद्यालय अपने 12 कृषि फार्म पर बीज सर्टिफाइड कर बेचेगा, सरकार के दूसरे विभागों और सीएसआर के तहत ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित होंगे, जिससे आय बढ़ेगी।

उदयपुरOct 20, 2019 / 07:16 pm

Krishna

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चंदन सिंह देवड़ा/उदयपुर. महाराणा प्रताप कृषि एंव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का राजस्व बढ़ाने के लिए अब सर्टिफाइड बीज के अलावा मुर्गा-मछली उत्पादन पर जोर दिया जाएगा। व्यास समिति ने कृषि विश्वविद्यालयों को सरकारी अनुदान के अलावा स्वयं की अर्जित आय 30 प्रतिशत तक बढ़ा दी, जिससे विभिन्न स्रोतों से राजस्व अर्जन एक बड़ी चुनौती के रूप में पेश आ रहा है। इसी से निपटने के लिए विश्वविद्यालय के संगटक अभियान्त्रिकी महाविद्यालय में शुक्रवार को राजस्व उत्पादन की रणनीति पर कार्यशाला हुई। इसमें कई ऐसे सुझाव आए, जिससे आने वाले समय में एमपीयूएटी का राजस्व बढ़ सकता है।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा की संस्थागत विकास परियोजना के अन्तर्गत हुई कार्यशाला के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति एवं पूर्व उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ.एस.एल. मेहता ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना लेण्ड ग्रान्ट योजना के अन्तर्गत की गई थी, इसमे 50 प्रतिशत फण्डिंग केन्द्र, 35-40 प्रतिशत राज्य सरकार से व 10-15 प्रतिशत स्वयं की ओर से अर्जित आय से की जानी चाहिए थी। व्यास समीति ने इसे 30 प्रतिशत तक बढ़ाया था। इसलिए कृषि विश्वविद्यालयों के समक्ष स्वयं की ओर से अर्जित आय के स्रोतों से राजस्व अर्जन एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। मेहता ने कहा कि विशेष कार्य योजना से इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।एमपीयूएटी के कुलपति प्रो. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि हमारी एलुमिनाई एक बडी शक्ति है। हाल ही में आईआईटी में पूर्व छात्र परिषद् ने संस्था की पूर्ण फण्डिंग का वादा कर उदाहरण पेश किया है। उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से कहा कि वे आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।

इनके जरिए राजस्व बढ़ाने पर रहेगा फोकस

विश्वविद्यालय अपने 12 कृषि फार्म पर बीज सर्टिफाइड कर बेचेगा, सरकार के दूसरे विभागों और सीएसआर के तहत ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित होंगे, जिससे आय बढ़ेगी। स्किल डवलपमेंट के तहत रूरल यूथ को ट्रेनिंग देकर कमाई करेंगे। सबसे अहम मुर्गा और मछली उत्पादन को बढ़ाकर राजस्व अर्जित करने का टारगेट तय करेंगे। मशरीनरी जांच के लिए निर्माताओं को टेस्टिंग सर्टिफिकेट जारी करने में भी आय ढाई करोड़ से ज्यादा करेंगे। इसके साथ तकनीकी हस्तांतरण, क्षमता वर्धन, विशिष्ट उत्पादों की मार्केटिंग, ईको टूरिज्म, पेटेन्ट, बाह्य निधि से वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाओं के निर्माण शामिल है।

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