पहली बार महाशिवरात्रि पर नहीं खुलेगा एकलिंगजी मंदिर,मेवाड़ के इतिहास में पहला मौका
कोरोना संक्रमण के चलते 10 से 12 मार्च तक बंद रहेगा मंदिर, अंदर परम्परागत सेवा-पूजा होगी

मुकेश हिंगड़
उदयपुर. मेवाड़ के इतिहास में यह पहली महाशिवरात्रि है जब एकलिंगनाथ मंदिर भक्तों के लिए नहीं खुलेगा। मंदिर के अंदर सेवा-पूजा परम्परागत होगी लेकिन भक्तगण दर्शन नहीं कर सकेंगे। यह सब उदयपुर जिले में कोराना संक्रमण के बढ़ते केस की वजह से है।
महाशिवरात्रि पर होने वाली भीड़ को देखते हुए वहां कोरोना गाइड लाइन की पालना कराना मुश्किल भरा काम है ऐसे में इस बार 10 से 12 मार्च तक मंदिर बंद रहेगा। जानकारों के अनुसार इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब भगवान एकलिंगनाथ के दर्शन महाशिवरात्रि के दिन दशनार्थी नहीं कर पाएंगे।
एकलिंगजी मंदिर को एकलिंगजी ट्रस्ट द्वारा 10 व 12 मार्च को खुला नहीं रखने का निर्णय लिया है। ट्रस्ट के उप सचिव (प्रशासन) अजय विक्रमसिंह ने अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) अशोक कुमार को लिखे पत्र में अवगत कराया है कि उदयपुर के अंबामाता क्षेत्र में फैले कोरोना संक्रमण को देखते हुए 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर कैलाशपुरी में आने वाले हजारों की संख्या में दर्शनार्थियों की दर्शन व्यवस्था में कोरोना की नई गाइडलाइन का पालन कराना असंभव है।
पत्र में कहा है कि इस दृष्टि से 10 से 12 मार्च शुक्रवार तक श्री एकलिंगजी मंदिर कैलाशपुरी को आम दर्शनार्थियों के स्वास्थ्य व व्यापक हित में खुला नहीं रखने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस अवधि में सेवा-पूजा निर्बाध संपादित की जाएगी।
पहले 200 तक की अनुमति दी
पंचायत समिति में फरवरी महीने में हुई बैठक में मेले की तैयारियों को लेकर चर्चा की गई। तब कोरोना गाइड लाइन के तहत तय हुआ कि मेले के आयोजन की अनुमति देना संभव नहीं होगा। साथ ही तय किया गया कि गाइड लाइन के तहत मंदिर परिसर में 200 से अधिक लोग एकत्रित नहीं होंगे एवं सोशल डिस्टेंस की पूरी पालना की जाएगी। इस बीच दो दिन पहले उदयपुर में एक साथ 25 विद्यार्थियों के पॉजिटिव आने और संक्रमण बढऩे के बाद यह तय किया गया कि मंदिर दर्शनार्थियों के लिए 10 मार्च से 12 मार्च तक खोला ही नहीं जाएगा।
एक दिन पहले उदयपुर से पैदल यात्रा शुरू होती
एकलिंगनाथ जी के दर्शन के लिए महाशिवरात्रि के एक दिन पहले ही उदयपुर और अन्य स्थानों से भक्त पैदल निकल जाते है। एकलिंगजी में दो दिन तक मेला लगता है, सुबह से देर रात तक भक्तों की भीड़ रहती है। रास्तों में जगह-जगह प्रबंध किए जाते है। भक्तों का रैला पैदल ही जाता है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस बार एकलिंग जी का रास्ता खाली रहेगा और कैलाशपुरी गांव व मंदिर में सन्नाटा रहेगा। वैसे मंदिर के अंदर सेवा पूजा होगी लेकिन भक्त इस बार प्रभू एकलिंगनाथ के मंदिर में जाकर दर्शन नहीं कर पाएंगे।
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