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इसी तरह बांसवाड़ा की हूकी डिंडोर, गुलाबी मईड़ा, रीना कटारा, प्रतापगढ़ की दिव्यांग लीला व चावण्ड की आशा मीणा ने भी अभाव के साये में पढ़ाई की। अधिकतर के घरों में आज भी बिजली नहीं है। इनमें से कइयों ने पिता व भाई के साथ मजदूरी कर फीस की व्यवस्था की।
इसी तरह बांसवाड़ा की हूकी डिंडोर, गुलाबी मईड़ा, रीना कटारा, प्रतापगढ़ की दिव्यांग लीला व चावण्ड की आशा मीणा ने भी अभाव के साये में पढ़ाई की। अधिकतर के घरों में आज भी बिजली नहीं है। इनमें से कइयों ने पिता व भाई के साथ मजदूरी कर फीस की व्यवस्था की।