इसी हकीकत को साकार करने का जज्बा लिए लेकसिटी के एक संग्रहकर्ता महेश सिंघवी बचपन से ही नोट, सिक्के, डाक टिकट, माचिसें, पुराने स्टाम्स जैसे संग्रह को सतत समृद्ध करते जा रहे हैं। वे बताते हैं कि पिता को नोट-सिक्कों के संग्रह का शौक देखकर ही वह प्रेरित हुए, अब उनके दिशा-निर्देशन में उनका बेटा भी कई रोचक संग्रह की श्रंृखला शुरू कर चुका है।
बहरहाल, आज हम यहां बात महेश के उस खास संग्रह की करेंगे। जिसका संबंध सीधे पक्षी जगत से जुड़ा हुआ है। दरअसल, अगले साल जनवरी माह के प्रथम सप्ताह के बाद लेकसिटी बर्ड फेस्टिवल में पक्षी विशेषज्ञ विविध आयोजनों के जरिये पक्षियों से संबद्ध महत्वपूर्ण जानकारियां आमजन से साझा करेंगे।
सौ साल पुरानी हजारों माचिसें पत्रिका से खास बातचीत के दौरान उन्होंने दावा किया कि उनके पास करीबन सौ साल पुरानी एक लाख से अधिक देसी-विदेशी माचिसें उनके कवर, डबल प्रिंट कलेक्शन, कलर्ड फ्लेम माचिसें, सेट वाली रेयर माचिसें तथा पैकिंग मटीरियल संग्रहित हैं। जिनमें एक इंच छोटे आकार से लेकर ११ इंच आकार की ५ रुपए मूल्य से हजार रुपए मूल्य की माचिसें भी उपलब्ध है। भारत सहित कई विदेशी राष्ट्रों की माचिसों पर स्वतंत्रता सेनानी, पशु-पक्षी, फूल-पत्तियां, देवी-देवता, क्रिकेटर्स, फिल्म स्टार्स, राजनेता, धर्मगुरु जैसे विषय हर किसी को आकृष्ट करते हैं।
अलग-अलग मटीरियल की माचिसें गौरतलब है कि महेश पिछले बीस वर्षों से लकड़ी, कार्ड बोर्ड, वैक्स, लोहे व प्लास्टिक जैसे मटीरियल से बनी माचिसें अकेले दम कलेक्शन कर रहे हैं। जिनको सहेजने और रखरखाव के लिए वे बरसों से श्रम, समय और धन खर्च कर रहे हैं। उनका दावा है कि दुनियाभर के सैकड़ों विषयों पर उनके पास
विविध विषयों पर सिक्के और नोट भी दुनिया के कई देशों ने पक्षियों पर आधारित नोट और सिक्के जारी किए हैं। जिसमें जांबिया, सऊदी अरब, रूस, भूटान, श्रीलंका, मलेशिया, इजिप्ट, यूगांडा, हांगकांग, मैक्सिको, यूएसए आदि प्रमुख हैं। हैरानी की बात इतनी है कि भारत देश की ओर से अब तक पक्षी का चित्र अंकित कोई नोट या मुद्रा जारी नहीं की गई है। इसके अलावा इनके संग्रह में रशिया द्वारा जारी इलेक्ट्रिोनिक चिप वाला लिमिटेड एडिशन का नोट भी है, जिसपर एक खास एप्लिकेशन के जरिये लाइव डेमो देखा जा सकता है। Match Box Collaction
इधर, पक्षियों वाले चित्रों की माचिसों में चिडिय़ा, कबूतर, तोता, गरुड़, मुर्गा, रॉयल चिडिय़ा, मैना, मोर, कौवा, सारस आदि तमाम देशी-विदेशी प्रजातियों का भी अनूठा संग्रह है। जिसे आमजन अगले माह बर्ड फेस्टिवल के दौरान देख पाएंगे।