भुवनेश पंड्या/ उदयपुर . जनाना हॉस्पिटल की व्यवस्थाएं बिखरने और आउटडोर बंद होने के साथ ही त्यागे जाने वाले नवजातों के लिए लगाया गया पालना भी हट गया। पिछले दस वर्षों में इस पालने में करीब डेढ़ सौ नवजात पहुंचे, जिनमें से कइयों को मां की गोद मिल गई। सुरक्षित परित्याग के उद्देश्य से ‘फेंको मत हमें दो’ स्लोगन के साथ इसकी शुरुआत की गई थी।
जनाना हॉस्पिटल जर्जर होने और दूसरी जगह शिफ्ट करने के साथ ही यहां से पालना भी हट गया। इससे साफ है कि जब हॉस्पिटल का आउटडोर ही नहीं रहा तो पालने में आने वाले शिशु को समय पर लेना संभव नहीं हो पाएगा, इसलिए इसे हटाया गया है।
जनाना हॉस्पिटल जर्जर होने और दूसरी जगह शिफ्ट करने के साथ ही यहां से पालना भी हट गया। इससे साफ है कि जब हॉस्पिटल का आउटडोर ही नहीं रहा तो पालने में आने वाले शिशु को समय पर लेना संभव नहीं हो पाएगा, इसलिए इसे हटाया गया है।
यह है पूरी प्रक्रिया
जैसे ही बच्चा इस पालने तक पहुंचता था तो आउटडोर में घंटी बजती थी। घंटी बजने के साथ ही स्टाफ दौडकऱ वहां से इसे अंदर ले लेता है और जरूरत होने पर उपचार करवाता है। कुछ समय तक मेडिकल सुरक्षा में रखने के बाद इसे बाल कल्याण समिति के माध्यम से राजकीय शिशु गृह में भेजा जाता है। केन्द्रीय दत्तक ग्रहण अभिकरण में ऑनलाइन आवेदन से ये बच्चे गोद दिए जाते हैं। बाल कल्याण समिति लीगल फ्री करती है, इसके बाद उसे गोद दिया जाता है।
जैसे ही बच्चा इस पालने तक पहुंचता था तो आउटडोर में घंटी बजती थी। घंटी बजने के साथ ही स्टाफ दौडकऱ वहां से इसे अंदर ले लेता है और जरूरत होने पर उपचार करवाता है। कुछ समय तक मेडिकल सुरक्षा में रखने के बाद इसे बाल कल्याण समिति के माध्यम से राजकीय शिशु गृह में भेजा जाता है। केन्द्रीय दत्तक ग्रहण अभिकरण में ऑनलाइन आवेदन से ये बच्चे गोद दिए जाते हैं। बाल कल्याण समिति लीगल फ्री करती है, इसके बाद उसे गोद दिया जाता है।
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फिलहाल व्यवस्थाएं सही नहीं होने से पालना रखने से परेशानी हो सकती थी, इसलिए इसे हटाया गया है। फिलहाल आउटडोर वहां संचालित नहीं है, ऐसे में यदि कोई बच्चा वहां रखकर जाता और समय पर इसे वहां से उपचार के लिए नहीं लिया जाता तो समस्या हो सकती है। इसलिए इलेक्ट्रीकल इंजीनियर को कहा कि पालना कोटेज के पास बना लें,ताकि पूरी देखरेख हो सके।
फिलहाल व्यवस्थाएं सही नहीं होने से पालना रखने से परेशानी हो सकती थी, इसलिए इसे हटाया गया है। फिलहाल आउटडोर वहां संचालित नहीं है, ऐसे में यदि कोई बच्चा वहां रखकर जाता और समय पर इसे वहां से उपचार के लिए नहीं लिया जाता तो समस्या हो सकती है। इसलिए इलेक्ट्रीकल इंजीनियर को कहा कि पालना कोटेज के पास बना लें,ताकि पूरी देखरेख हो सके।
डॉ सुनीता माहेश्वरी, अधीक्षक जनाना हॉस्पिटल उदयपुर