scriptएमबी का ‘हृदय कमजोर: मरीज छह व प्रोसिजर हुए पांच गुना, 18 साल से एक ही कैथलैब | MB's 'heart weakened: patient six and procedure five times, same cathl | Patrika News
उदयपुर

एमबी का ‘हृदय कमजोर: मरीज छह व प्रोसिजर हुए पांच गुना, 18 साल से एक ही कैथलैब

– प्रत्येक आरएमआरएस की बैठक में होती है चर्चा, अब तक नहीं हुआ निर्णय
– सरकार को प्रस्ताव भेजे भी हो गए तीन माह

उदयपुरAug 01, 2021 / 08:51 am

bhuvanesh pandya

एमबी का 'हृदय कमजोर: मरीज छह व प्रोसिजर हुए पांच गुना, 18 साल से एक ही कैथलैब

एमबी का ‘हृदय कमजोर: मरीज छह व प्रोसिजर हुए पांच गुना, 18 साल से एक ही कैथलैब

भुवनेश पंड्या
उदयपुर. महाराणा भूपाल हॉस्पिटल का ‘हृदय कमजोर होने लगा है। इतना कि एक ही कैथलैब के भरोसे 18 साल निकाल दिए, लेकिन अब तक इससे आगे नहीं बढ़ पाए। हार्ट हॉस्पिटल में मरीज पहले से करीब छह गुना बढ़ चुके हैं, तो प्रोसिजर्स की संख्या बढ़कर पांच गुना हो गई है, लेकिन अब तक कैथैलेब एक ही है, ऐसे में मरीजों को प्रोसिजर्स के लिए भी कई दिनों तक अपनी बारी का इन्तजार करना पड़ता है। अर्से से यहां एक और कैथलैब लगाने की बात चल रही है पर अब तक इस पर निर्णय नहीं हो पाया है। हर बार राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी (आरएमआरएस) के एजेंडे में इसका बिन्दु शामिल रहता है, लेकिन कैथलैब नहीं मिल पाई है।
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क्या है कैथलैब:

– कैथलैब एक विश्ेाष प्रकार की मशीन होती है, जिसके माध्यम से मरीज की एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर लगाने, बलूनी यानी वाल्व की बीमारी का उपचार व बच्चों के दिल में छेद का उपचार कैथलैब में किया जाता है।
– यदि एमबी हॉस्पिटल को एक और कैथलैब मिल जाए तो कई मरीजों को इसका फायदा मिल जाएगा, जिस उपचार के लिए उन्हें कई-कई बार तीन या चार दिन तक इन्तजार करना पड़ता है, वह उन्हें जल्द से जल्द उपलब्ध हो जाएगा।
– फिलहाल एक एडवांस टेक्नोलॉजी की कैथलैब की कीमत करीब साढ़े चार करोड़ रुपए है, ये इसलिए बेहतर मानी जाती है, क्योंकि चिकित्सक और मरीज दोनों का एडवांस सॉफ्टवेयर के जरिए मशीन से निकलने वाले रेडिएशन से बचाव होता है।
– राज्य सरकार ने नई कैथलैब के लिए प्रस्ताव मांगा था, इसे लेकर अप्रेल माह में आरएनटी मेडिकल कॉलेज से प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।
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पहले और अब- ये आया अन्तर (2002-3 से 2021 तक)

– वर्ष 2002-03 में यह कै थलैब शुरू हुई थी, उस समय यहां प्रतिदिन ओपीडी 50 की थी और अब 300 की औसतन ओपीडी हो चुकी है।
– उस समय प्रतिदिन 2 से 3 प्रोसिजर होते थे, जबकि अब प्रतिदिन करीब 15 प्रोसिजर हो रहे हैं।
– उस समय ओपीडी केवल तीन दिन रहता था, जो अब बढ़कर सात दिन हो चुका है।
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इस बार आरएमआरएस की बैठक सात को
इस बार सात अगस्त को एमबी हॉस्पिटल के आरएमआरएस की बैठक होनी है। पिछली दो आरएमआरएस बैठक में कैथलैब हमेशा एजेंडे में शामिल रहती है, इस पर चर्चा भी होती है। इस बार भी होने वाली आरएमआरएस की बैठक का एजेंडा फिलहाल तैयार नहीं हो पाया है, लेकिन यदि इस पर मुहर लगती है तो गंभीर मरीजों को इसका लाभ जरूर मिलेगा।
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प्रतिमाह होने वाले उपचार:

एंजियोग्राफी- 150- 200
एंजियोप्लास्टी- 75-100

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बढ़ी है कैथलैब की जरूतत

कैथलैब की जरूरत बढ़ गई है, लगातार मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच यदि ये मिल जाती तो बेहतर होगा। इसे लेकर हमने यहां से राज्य सरकार को प्रस्ताव भी तैयार कर भेजा है, प्रयास है कि जल्द से जल्द काम हो जाए।
डॉ. मुकेश शर्मा, विभागाध्यक्ष कार्डियोलॉजी
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