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क्या है कैथलैब: – कैथलैब एक विश्ेाष प्रकार की मशीन होती है, जिसके माध्यम से मरीज की एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर लगाने, बलूनी यानी वाल्व की बीमारी का उपचार व बच्चों के दिल में छेद का उपचार कैथलैब में किया जाता है।
– यदि एमबी हॉस्पिटल को एक और कैथलैब मिल जाए तो कई मरीजों को इसका फायदा मिल जाएगा, जिस उपचार के लिए उन्हें कई-कई बार तीन या चार दिन तक इन्तजार करना पड़ता है, वह उन्हें जल्द से जल्द उपलब्ध हो जाएगा।
क्या है कैथलैब: – कैथलैब एक विश्ेाष प्रकार की मशीन होती है, जिसके माध्यम से मरीज की एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर लगाने, बलूनी यानी वाल्व की बीमारी का उपचार व बच्चों के दिल में छेद का उपचार कैथलैब में किया जाता है।
– यदि एमबी हॉस्पिटल को एक और कैथलैब मिल जाए तो कई मरीजों को इसका फायदा मिल जाएगा, जिस उपचार के लिए उन्हें कई-कई बार तीन या चार दिन तक इन्तजार करना पड़ता है, वह उन्हें जल्द से जल्द उपलब्ध हो जाएगा।
– फिलहाल एक एडवांस टेक्नोलॉजी की कैथलैब की कीमत करीब साढ़े चार करोड़ रुपए है, ये इसलिए बेहतर मानी जाती है, क्योंकि चिकित्सक और मरीज दोनों का एडवांस सॉफ्टवेयर के जरिए मशीन से निकलने वाले रेडिएशन से बचाव होता है।
– राज्य सरकार ने नई कैथलैब के लिए प्रस्ताव मांगा था, इसे लेकर अप्रेल माह में आरएनटी मेडिकल कॉलेज से प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।
– राज्य सरकार ने नई कैथलैब के लिए प्रस्ताव मांगा था, इसे लेकर अप्रेल माह में आरएनटी मेडिकल कॉलेज से प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।
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पहले और अब- ये आया अन्तर (2002-3 से 2021 तक) – वर्ष 2002-03 में यह कै थलैब शुरू हुई थी, उस समय यहां प्रतिदिन ओपीडी 50 की थी और अब 300 की औसतन ओपीडी हो चुकी है।
– उस समय प्रतिदिन 2 से 3 प्रोसिजर होते थे, जबकि अब प्रतिदिन करीब 15 प्रोसिजर हो रहे हैं।
पहले और अब- ये आया अन्तर (2002-3 से 2021 तक) – वर्ष 2002-03 में यह कै थलैब शुरू हुई थी, उस समय यहां प्रतिदिन ओपीडी 50 की थी और अब 300 की औसतन ओपीडी हो चुकी है।
– उस समय प्रतिदिन 2 से 3 प्रोसिजर होते थे, जबकि अब प्रतिदिन करीब 15 प्रोसिजर हो रहे हैं।
– उस समय ओपीडी केवल तीन दिन रहता था, जो अब बढ़कर सात दिन हो चुका है।
—- इस बार आरएमआरएस की बैठक सात को
इस बार सात अगस्त को एमबी हॉस्पिटल के आरएमआरएस की बैठक होनी है। पिछली दो आरएमआरएस बैठक में कैथलैब हमेशा एजेंडे में शामिल रहती है, इस पर चर्चा भी होती है। इस बार भी होने वाली आरएमआरएस की बैठक का एजेंडा फिलहाल तैयार नहीं हो पाया है, लेकिन यदि इस पर मुहर लगती है तो गंभीर मरीजों को इसका लाभ जरूर मिलेगा।
—- इस बार आरएमआरएस की बैठक सात को
इस बार सात अगस्त को एमबी हॉस्पिटल के आरएमआरएस की बैठक होनी है। पिछली दो आरएमआरएस बैठक में कैथलैब हमेशा एजेंडे में शामिल रहती है, इस पर चर्चा भी होती है। इस बार भी होने वाली आरएमआरएस की बैठक का एजेंडा फिलहाल तैयार नहीं हो पाया है, लेकिन यदि इस पर मुहर लगती है तो गंभीर मरीजों को इसका लाभ जरूर मिलेगा।
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प्रतिमाह होने वाले उपचार: एंजियोग्राफी- 150- 200
एंजियोप्लास्टी- 75-100 ——-
बढ़ी है कैथलैब की जरूतत कैथलैब की जरूरत बढ़ गई है, लगातार मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच यदि ये मिल जाती तो बेहतर होगा। इसे लेकर हमने यहां से राज्य सरकार को प्रस्ताव भी तैयार कर भेजा है, प्रयास है कि जल्द से जल्द काम हो जाए।
डॉ. मुकेश शर्मा, विभागाध्यक्ष कार्डियोलॉजी
प्रतिमाह होने वाले उपचार: एंजियोग्राफी- 150- 200
एंजियोप्लास्टी- 75-100 ——-
बढ़ी है कैथलैब की जरूतत कैथलैब की जरूरत बढ़ गई है, लगातार मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच यदि ये मिल जाती तो बेहतर होगा। इसे लेकर हमने यहां से राज्य सरकार को प्रस्ताव भी तैयार कर भेजा है, प्रयास है कि जल्द से जल्द काम हो जाए।
डॉ. मुकेश शर्मा, विभागाध्यक्ष कार्डियोलॉजी