नीम हकीम सक्रीय चिकित्सा विभाग क्षेत्र में सरकारी चिकित्सा व्यवस्थाएं दुरुस्त और नीम हकीमों के नहीं होने का दावा करता है, लेकिन खुले में मेडिकल वेस्ट डाला जाना इस बात का प्रमाण है कि चोरी छीपे जनता की जान जोखिम में डालने का काम हो रहा है। ऐसे में गंभीर बीमारियां फैलने की आंशका बनी रहती है।
शेड्यूल एच की दवाएं
मेडिकल वेस्ट में शेड्यूल-एच की दवाएं मिली है। आमतौर पर इस प्रकार की दवाएं अनुभवी चिकित्सक की सलाह से ही दी जाती है। बिना लाइसेंस के ऐसी दवाएं खरीदना भी मुश्किल है।
शेड्यूल एच की दवाएं
मेडिकल वेस्ट में शेड्यूल-एच की दवाएं मिली है। आमतौर पर इस प्रकार की दवाएं अनुभवी चिकित्सक की सलाह से ही दी जाती है। बिना लाइसेंस के ऐसी दवाएं खरीदना भी मुश्किल है।
यह है सरकारी व्यवस्था राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय का कचरा अलग-अलग थैलियों में भरकर तोल किया जाता है। फिर ठेकेदार ले जाता है। सरकार ने वर्ष 2015-16 में मेडिकल वेस्ट निस्तारण के लिए टेण्डर शुरू किया था।
खुले में मेडिकल वेस्ट डालना गलत है। गहरे खड्डे में डालकर निस्तारण होना चाहिए। खुले में डाले जाने वेस्ट से गंभीर बिमारियां होने की आंशका रहती है। सरकारी चिकित्सालय से निकलने वाला वेस्ट ठेकेदार ले जाता है। इसके लिए नियमानुसार अलग-अलग पॉलिथिन का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि किसी को नुकसान नहीं हो और विधिवत निस्तारण किया जा सके।
खुले में मेडिकल वेस्ट डालना गलत है। गहरे खड्डे में डालकर निस्तारण होना चाहिए। खुले में डाले जाने वेस्ट से गंभीर बिमारियां होने की आंशका रहती है। सरकारी चिकित्सालय से निकलने वाला वेस्ट ठेकेदार ले जाता है। इसके लिए नियमानुसार अलग-अलग पॉलिथिन का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि किसी को नुकसान नहीं हो और विधिवत निस्तारण किया जा सके।
डॉ. आरके सिंह, चिकित्साधिकारी, सीएचसी कानोड़